Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 3 with Solutions
समय : 2.00
घण्टा पूणांक:40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और खंड ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड-‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड-‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रखण्ड-‘क’ (20 अंक)
(पाठ्य-पुस्तक व पूरक पाठ्य-पुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश का निर्माण।
- हिन्दी में शोध प्रबन्ध-रामकथा: उत्पत्ति और विकास।
- अंग्रेजी नाटक ‘ब्लूवर्ड’ का ‘नीलपंछी’ नाम से हिन्दी में अनुवाद।
- परिमल संस्था में सक्रिय भागीदारी।
- हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास करना।
- हिन्दी वालों द्वारा हिन्दी की उपेक्षा पर दु:ख।
(कोई एक बिंदु अपेक्षित)
व्याख्यात्मक हल:
फादर कामिल बुल्के की हिन्दी भाषा में विशेष रुचि एवं लगाव था। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं उसे गौरवान्वित करने के लिए वे समर्पित भाव से सतत कर्मशील रहे। उन्होंने जेवियर्स कॉलेज में हिन्दी-संस्कृत विभाग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए रामकथाः उत्पत्ति और विकास विषय पर शोधकार्य तथा अध्ययन किया। उन्होंने बाइबिल का हिन्दी अनुवाद किया, अंग्रेज़ी-हिन्दी कोश तैयार किया तथा ‘ब्लू बर्ड’ का अनुवाद ‘नील पंछी’ नाम से किया। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रेरित व उद्बोधित करते रहे।
(ख) ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के पात्र नवाब साहब के विषय में अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
दिखावा करने वाले, अहंकारी, सामंती समाज के प्रतीक, नवाबी अकड़ से भरे हुए।
व्याख्यात्मक हल:
‘लखनवी अंदाज’ के पात्र नवाब साहब ने सफर में समय बिताने के लिए खीरे खरीदे तथा खीरे काफी देर तक तौलिए पर यों ही रखे रहने दिए। फिर उनको सावधानी से छीलकर फाँकों को सजाया और उन फाँकों पर जीरा मिला नमक-मिर्च बुरक दिया और फिर सूंघ-सूंघकर उनको ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया। हमारा विचार है कि उनका यह व्यवहार उनकी नजाकत और लखनवी संस्कृति के साथ ही उनकी जीवन-शैली की कृत्रिमता और दिखावे को भी प्रदर्शित करता है। यह उनका अपनी खानदानी रईसी दिखाने का भी तरीका था। नवाब साहब सामंती वर्ग के प्रतीक हैं जो आज भी झूठी शान बनाए रखना चाहता है।
(ग) किस बात से प्रकट होता है कि लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और फादर कामिल बुल्के के बीच आत्मीय सम्बन्ध थे? ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
लेखक ने इस संस्मरण में लिखा है कि फादर जब भी दिल्ली आते थे तो उनसे जरूर मिलते थे। वे गर्मी, सर्दी, बरसात किसी की भी परवाह न करते हुए चाहे दो मिनट के लिए ही सही उनसे अवश्य मिलते थे। फादर जिससे भी रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे। यही कारण था कि दसियों वर्ष बाद उनसे मिलने पर भी लेखक को उनके अपनत्व और आत्मीयता की गन्ध महसूस होती थी।
(घ) ‘बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है।’ यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
कहानी में किसी न किसी घटना का वर्णन होता है। घटना कैसे घटी, उसका क्या कारण था तथा उसका क्या परिणाम हुआ, इसी ताने-बाने को लेकर कहानी की रचना होती है। बिना पात्रों तथा किसी कारण के घटना होना सम्भव नहीं है तथा बिना घटना के विचार कैसे? मेरा मानना है कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी नहीं लिखी जा सकती। कहानी का कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 3 = 6]
(क) कविता ‘उत्साह’ में बादल के किन-किन अर्थों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तरः
‘उत्साह’ कविता में बादल के अनेक अर्थों की ओर संकेत किया गया है
- बादल पीड़ित-प्यासे जन की प्यास बुझाकर उन्हें तृप्त करते हैं तथा उनकी आकांक्षाओं को पूरा करते हैं।
- बादल ललित कल्पना और क्रान्ति-चेतना की ओर संकेत करते हैं।
- मानव को संघर्ष के लिए प्रेरित करके जीवन में परिवर्तन और नवीनता लाने की ओर संकेत करते हैं।
- नई कल्पना और अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रान्ति चेतना की ओर संकेत करते हैं।
सामान्य त्रुटियाँ:
अधिकांश विद्यार्थी उत्साह’ कविता का मूल भाव, उद्देश्य एवं प्रतीकात्मक अर्थ समझने में असमर्थ रहते हैं। इसी कारण वे बादलों द्वारा की गई वर्षा के परिणाम के रूप में अथवा बादलों द्वारा अभिव्यक्त अर्थों के संकेत रूप में गरमी का कम होना, चारों ओर हरियाली छा जाना आदि लिखते हैं।
निवारण:
विद्यार्थियों को अपने शिक्षक की सहायता से कविताओं का मूल भाव, उद्देश्य एवं प्रतीकात्मक अर्थ अवश्य समझना चाहिए। कविता पर आधारित अर्थ-बोध एवं सराहना सम्बन्धी सभी सम्भावित प्रश्नों के उत्तरों का लिखकर अभ्यास करना चाहिए। जिससे वर्तनीगत अशुद्धियाँ न हों।
(ख) ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’-पंक्ति का आशय ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
फागुन में प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर होता है। प्राकृतिक सौन्दर्य की व्यापकता को देखकर मानव-मन प्रसन्नता से भर उठता
है। मन उल्लास से भर कर मानो कल्पना के पंख लगाकर आकाश में उड़ जाना चाहता है। इसी भाव को अभिव्यक्त करने के लिए कवि फागुन से कहता है कि तुम आकाश में उड़ने के लिए मन को पर-पर कर देते हो अर्थात पंख प्रदान करते हो। इस प्रकार फागुन मास प्राकृतिक सुन्दरता का सृजन करता है और मन को मानो आनन्द लोक में विचरण करने के लिए पंख उपलब्ध करा देता है।
(ग) माँ को अपनी बेटी के विषय में किस प्रकार की चिन्ता है और क्यों? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
माँ अपनी बेटी का ‘कन्यादान’ करते समय उसके भविष्य के विषय में बहुत चिंतित है। उसकी बेटी अभी भोली, नादान और अल्पवयस्क है। अभी तक अपने परिवार में माँ के स्नेह की छाया में उसने केवल सुख और प्यार का ही अनुभव किया है। सामाजिक कठिनाइयों और दु:खों का किंचित अनुभव नहीं है। विवाह के पश्चात् ससुराल में वह अनेक बन्धनों में बँध जाएगी। माँ इसलिए भी चिन्तित है कि उसकी बेटी अत्यन्त सीधी और सरल है, उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। माँ अपने अनुभवों के कारण भी बेटी के सुखद भविष्य के विषय में अनेक आशंकाओं से ग्रस्त है।
(घ) फाल्गुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँखें हट नहीं रही थीं?
उत्तरः
फाल्गुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि घर-घर को महकाती पवन, आकाश मे अठखेलियाँ करते पक्षी, पत्तों से लदी डालियों और मंद सुगन्ध से परिपूर्ण पुष्प समूह के इन सारे दृश्यों ने मंत्रमग्ध-सा कर दिया था। इसलिए कवि की आँख फाल्गुन से हट नहीं रही थी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए [3 × 2 = 6]
(क) ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर भोलानाथ और उसके पिता के सम्बन्धों का विश्लेषण करते हुए पिता-पुत्र सम्बन्धों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
भोलानाथ के पिता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे उसे सुबह-सुबह उठाकर, नहलाकर, पूजा पर बिठा लेते थे। भोलानाथ के जिद करने पर वह उसके मस्तक पर भभूत से अर्धचंद्राकार रेखाएँ बना देते। वे उसे अपने कन्धों पर बिठा कर गंगा जी ले जाते। जहाँ वे कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिख कर और उन्हें आटे की गोलियों में लपेटकर मछलियों को खिलाते। इसे देखकर भोलानाथ खूब हँसता था। वे रास्ते में झुके पेड़ों की डालों पर भोलानाथ को बैठाकर झूला झुलाते थे। कभी-कभी वे उसके साथ कुश्ती लड़ते और स्वयं हार जाते थे। पिताजी के बनावटी रोना रोने पर भोलानाथ खिलखिला कर हँसने लगता था। इस प्रकार पिता-पुत्र में बहुत घनिष्ठ आत्मीय सम्बन्ध था।
(ख) जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करता है? आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तरः
- जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक भारतीय नेताओं और शहीद बच्चों के प्रति भारतीयों में सम्मान का भाव;
- (शेष उपयुक्त उत्तर पर अंक दें)
व्याख्यात्मक हल:
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक भी फिट न होने की बात से लेखक इस ओर संकेत करना चाहता है कि भारतीय नेता ही नहीं, बल्कि भारतीय शहीद बच्चे भी जॉर्ज पंचम से श्रेष्ठ थे। उनका सम्मान अंग्रेजों से ज्यादा एवं महत्वपूर्ण है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि जहाँ जॉर्ज पंचम ने ब्रिटिश हुकूमत को कायम रखा, ब्रिटिश सत्ता को मजबूत किया वहीं भारतीय नेताओं एवं बच्चों के आजादी में दिए गए योगदान का जॉर्ज पंचम की नाक के सामने कोई मोल नहीं था। जॉर्ज पंचम जैसे नेता अधिक सम्मान के अधिकारी नहीं हैं। यही लेखक ने स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
(ग) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में कहा है कि ‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना वरदान है, ऐसा क्यों? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में युवा नागरिक की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तरः
‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। यदि इस स्थान पर दुकानें होती तो व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ जाती, वाहनों का आवागमन बढ़ता जिससे प्रदूषण तथा तापमान बढ़ जाता। भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में युवा नागरिक की भूमिका-वहाँ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें, वृक्षों को न काटें, नदियों के जल को दूषित न करें, प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग न करें, लोगों को पर्यावरण के विषय में जागरूक करें।
व्याख्यात्मक हल:
‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि यदि वहाँ पर भी दुकानें खुल जाएँगी तो उस स्थान का व्यवसायीकरण हो जाएगा। ऐसे में शायद वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो जाएगा। अभी वहाँ आने-जाने वाले लोगों की संख्या सीमित है। दुकानें खुलने पर आने वाले पर्यटक यहाँ गन्दगी फैलाएंगे। वाहनों के आवागमन से यहाँ के तापमान और प्रदूषण में भी वृद्धि होगी।
इस स्थान और अन्य पर्यटन स्थलों की सुन्दरता को बनाए रखने में युवा नागरिक महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। वे इन स्थलों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, वृक्षों को न काटें, सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें, नदियों एवं अन्य जल स्रोतों को दूषित न करें एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करें।
रखण्ड-रव’
(रचनात्मक लेखन रवंड) (20 अंक)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (5)
(क) कमरतोड़ महँगाई
अथवा
बढ़ती महँगाई आज की प्रमुख समस्या
- भूमिका
- महँगाई के कारण
- महँगाई को दूर करने के उपाय
- महँगाई दूर करके ही विकास सम्भव
- उपसंहार
उत्तरः
आज देश की सामान्य जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या महँगाई है। समाज का प्रत्येक वर्ग इस से प्रभावित है। जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं भोजन, आवास एवं वस्त्र की पूर्ति में ही मनुष्य बेबस हो रहा है। हालाँकि देश में अन्न, फल और सब्जियों का उत्पादन आवश्यकता से अधिक हो रहा है फिर भी बाजार में खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हुए हैं। साधारण कपड़े की कीमत भी सौ से डेढ़ सौ रुपए मीटर हो गई है। कागज पुस्तकों के दामों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। मकानों के किराए में बढ़ोत्तरी से भी मनुष्य का रहना मुश्किल हो गया है। दिन-प्रतिदिन पेट्रोल और गैस के दामों में होने वाली वृद्धि ने तो आम आदमी की कमर ही तोड़ दी है। इसका प्रमुख कारण है-देश में व्याप्त भ्रष्टाचार। मुनाफाखोर व्यापारी वस्तुओं को जमा करके समय आने पर अधिक मूल्य पर बेचते हैं। इससे अधिक उत्पादन होने के बाद भी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।
जनसंख्या वृद्धि भी महँगाई बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। देश में उपलब्ध साधन जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में कम हैं। राष्ट्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में तेजी से वृद्धि करना महँगाई कम करने का एक कारगर उपाय हो सकता है। उत्पादन बढ़ेगा तो वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धि के परिणामस्वरूप कीमतें कम होंगी और महँगाई भी कम। साथ ही जमाखोरी, मुनाफाखोरी अर्थात भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना महँगाई रोकने में सहायक सिद्ध होगा। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए देश में जागरूकता उत्पन्न करनी होगी। सरकारी तथा निजी दोनों स्तरों पर इसके लिए प्रयत्न करने होंगे। सरकार स्वयं जीवन उपयोगी वस्तुओं जैसे-अनाज, चावल, चीनी, तेल आदि के दामों पर नियन्त्रण कर के भी महँगाई को रोक सकती है। जरूरत की चीजों के दाम कम होने चाहिए। जब घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तभी देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
(ख) योग और छात्र जीवन
- प्रस्तावना * योग से लाभ
- छात्र जीवन में योग का विशेष महत्व
- ध्यान रखने योग्य बातें
- उपसंहार
उत्तरः
योग और छात्र जीवन योग भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। महर्षि पतंजलि ने यम, नियम, प्रत्याहार और आसन को योग का शारीरिक और प्राणायाम, ध्यान, धारणा और समाधि को योग का मानसिक अंग माना है। प्रातः काल योग करने से हमें नवीन ऊर्जा और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। हमारा मस्तिष्क शान्त रहता है और हमारा पूरा दिन खुशी और आनन्द में बीतता है। हमारी पाचन क्रिया उचित प्रकार से क्रियान्वित होती है तथा हमारा रक्त-संचार ठीक रहता है। छात्र जीवन में योग की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। योग के द्वारा उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान एकाग्र करने की क्षमता प्राप्त होती है। छात्रों में शारीरिक शक्ति के साथ ही मानसिक शक्ति और सहनशक्ति होना परमावश्यक है।
योग ओर खेल छात्रों को ऊर्जावान रखते हैं। सुबह-सुबह योग का नियमित अभ्यास हमें कई शारीरिक और मानिसक रोगों से दूर रखता है। योग मुद्रा या आसन छात्रों के शरीर और दिमाग को तेज करते हैं। आजकल छात्रों के ऊपर कई गतिविधियों में स्वयं को सिद्ध करने का मानसिक दवाब और तनाव होता है। योग उसे नियन्त्रित करने में भी सहायक होता है। योग नकारात्मक विचारों को नियन्त्रित करता है। यह बच्चों को प्रकृति से भी जोड़ता है। छात्रों को अपनी क्षमताओं से अधिक आसन या प्राणायाम आदि नहीं करना चाहिए। निष्कर्ष रूप में छात्र योग द्वारा श्रेष्ठ जीवन का आचरण करके एक आदर्श मानव बन सकते हैं। हमारी शिक्षा का भी यही उद्देश्य है।
(ग) पुस्तक की आत्मकथा
- भूमिका
- पुस्तक के लाभ
- पुस्तक की जीवन यात्रा
- निष्कर्ष
उत्तरः
पुस्तक की आत्मकथा:
मैं एक पुस्तक हूँ। मुझे पढ़कर मानव ज्ञानार्जन करता है। मैं सब की सच्ची साथी, ज्ञान का अथाह सागर और शिक्षा तथा मनोरंजन का उत्तम साधन हूँ। मेरा उपयोग ज्ञान को संरक्षित करने के लिए किया जाता है। अध्ययन करने वालों की मैं मित्र बन जाती हूँ। मैं अलग-अलग विषयों जैसे-साहित्य, कला, धर्म, चिकित्सा आदि में अनेक रूपों और रंगों में मिलती हूँ। आज मैं आपको जिस रूप में दिखाई देती हूँ, मेरा प्रारम्भिक रूप इससे बहुत भिन्न था। प्रारम्भ में गुरु अपने शिष्यों को मौखिक ज्ञान देते थे। उस समय तक कागज का आविष्कार नहीं हुआ था अतः ज्ञान को संरक्षित करने के लिए उसे लिपिबद्ध करके सर्वप्रथम भोजपत्रों पर लिखा गया। हमारा अति प्राचीन साहित्य भोज पत्रों और ताड़पत्रों पर ही उपलब्ध है।
बाद में मुझे बनाने के लिए घास-फूस, लकड़ी और बाँस को कूट-पीटकर गलाया गया। उसकी लुगदी तैयार कर के मशीनों के नीचे दबाकर कागज का आविष्कार हुआ। उपलब्ध ज्ञान को प्रेस में मुद्रण यन्त्रों की सहायता से कागज पर छापा जाता है। फिर जिल्द बनाने वाले उन कागजों को काटकर, सिलकर, चिपकाकर और आकर्षक जिल्द से सजाकर मेरा अर्थात पुस्तक का रूप सँवारते हैं। मेरा मूल्य-निर्धारण करके मुझे दुकानों में पहुँचाया जाता है, जहाँ से मैं तुम लोगों तक पहुँचती हूँ। मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे फाड़े नहीं बल्कि घर की किसी अलमारी में व्यवस्थित ढंग से रखें और मेरा अधिक से अधिक उपयोग हो। जो मेरा आदर-सम्मान करता है उसे मैं विद्वता के उच्च शिखर पर पहुँचा देती हूँ।
सामान्य त्रुटियाँ:
अधिकांश छात्र ‘पुस्तक की आत्मकथा’ विषय को समझने में असमर्थ रहते हैं। वे अपनी प्रिय पुस्तक का वर्णन करते हैं कि किस प्रकार उन्होंने उसे प्राप्त किया।
निवारण:
विषय पर भली प्रकार चिन्तन और मनन करने के बाद ही लिखना प्रारम्भ करें।
प्रश्न 5.
आपके क्षेत्र में डेंगू फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए। (5)
अथवा
अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखकर बताइए कि उनके पत्र में, उनकी समय के सदुपयोग के लिए दी हुई सलाह आपके दैनिक जीवन में किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो रही है।
उत्तरः
पत्र लेखन
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम (पश्चिमी क्षेत्र)
दिल्ली। दिनांक …………..
विषय-उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान सुभाष नगर क्षेत्र में फैले डेंगू बुखार की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पूरे इलाके में डेंगू का भयंकर प्रकोप है। घर-घर में इसके मरीज हैं। लेकिन जिला अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण लोगों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है। निजी अस्पताल वाले ब्लड के जम्बों पैक के नाम पर लोगों को लूट रहे हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि जिला अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था ठीक करवाएँ साथ ही इलाके में सफाई अभियान चलवाएँ और डी.डी.टी. पाउडर का छिड़काव करवाएँ जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।
धन्यवाद।
भवदीय,
रामकिशोर
सचिव
कार्यकारिणी समिति
सुभाष नगर क्षेत्र
नई दिल्ली
अथवा
अभ्युदय छात्रावास,
कानपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक ……………
आदरणीय दीदी,
सादर प्रणाम।
आशा है कि आप लोग कुशलपूर्वक होंगे। आपने अपने पिछले पत्र में मुझे समय के सदुपयोग के लिए जो उपयोगी सलाह दी थी, उसे मैंने अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना लिया है। मैंने अपने पूरे दिन की समय तालिका बना ली है और उसका नियमित पालन करता हूँ। अब मैं सुबह 5:00 बजे उठ जाता हूँ। अपने दैनिक क्रियाकलाप पूर्ण करने के बाद मैं खुली हवा में योगाभ्यास करता हूँ, जिससे मेरे तन-मन में स्फूर्ति आ जाती है। अब मुझे पढ़ने के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाता है। सुबह किया गया अध्ययन मुझे अच्छी तरह याद भी रहता है। अब मेरे सभी काम समय पर पूरे हो जाते हैं।
आपकी सलाह के अनुसार मैं शाम को एक घण्टा खेलने भी जाता हूँ जिससे मेरी दिन भर की थकान दूर हो जाती है और मैं पुनः तरोताजा होकर पढ़ाई में ध्यान लगा पाता हूँ। आशा है आप भविष्य में भी इसी प्रकार मेरा मार्गदर्शन करती रहेंगी। आदरणीय पिताजी एवं माता जी को मेरा सादर चरण स्पर्श कहिएगा। आपका अनुज,
अ ब स
प्रश्न 6.
(क) ‘पृथ्वी दिवस’ पर पृथ्वी को जीवों के रहने योग्य एक सुन्दर स्थान बनाने का सन्देश देता हुआ, जन जागरण हेतु लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
टूथपेस्ट बनाने वाली कम्पनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) कोरोना महामारी से बचाव के लिए भारत सरकार की ओर से वैक्सीन की अनिवार्यता के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
प्रश्न 7.
(क) अपने मित्र अथवा सखी को जन्मदिन की बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक सन्देश लिखिए। (2.5)
अथवा
अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास होने पर शुभकामना सन्देश लिखिए।
उत्तरः
अथवा
(ख) श्री जी. एस. निगम की ओर से उनके पिताजी के आकस्मिक निधन और शान्ति पाठ आयोजन की सूचना देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक शोक सन्देश लिखिए। (2.5)
उत्तरः