Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 4 with Solutions
समय : 2.00
घण्टा पूणांक: 40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और खंड ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड-‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड-‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रखण्ड-‘क’
(पाठ्य-पुस्तक व पूरक पाठ्य-पुस्तक) (20 अंक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) नवाब साहब का कैसा भाव परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों?
उत्तर :
लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब ने असंतोष, संकोच तथा बेरुखी दिखाई, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें अभिवादन कर खीरा खाने के लिए आमंत्रित किया। लेखक को नवाब साहब का भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा क्योंकि अभिवादन सदा मिलते समय होता है। पहले अनदेखा करना और थोड़ी देर बाद अभिवादन, औचित्यहीन है। लेखक को लगा कि नवाब साहब शराफत का भ्रमजाल बनाए रखने के लिए उन्हें मामूली व्यक्ति की हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं।
(ख) मनुष्य बहुत सी बातें भूल जाता है, किन्तु दूर रहकर भी वह अपनी माँ के निस्वार्थ और निश्छल स्नेह को नहीं भूल पाता। संन्यासी फादरबुल्के भी अपनी माँ को नहीं भूल पाते थे। ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फादर अपनी माँ को बहुत याद करते थे और अकसर उनकी स्मृति में खो जाते थे। उनकी माँ की चिट्ठियाँ अकसर उनके पास आती थीं जिन्हें वे अपने अभिन्न मित्र डॉक्टर रघुवंश को दिखाते थे। भारत में स्थायी रूप से बस जाने के बाद भी वह अपनी मातृभूमि और माँ के स्नेह को नहीं भूल पाए थे। सच है कि माँ का निस्वार्थ प्रेम स्नेह की पराकाष्ठा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
(ग) लेखक ने नवाब साहब की असुविधा के कारण के बारे में क्या अनुमान लगाया? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
लेखक ने अनुमान लगाया कि नवाब साहब ने यह सोचकर कि उस डिब्बे में अन्य कोई नहीं होगा, वे अकेले ही यात्रा करेंगे तथा पैसों की बचत करने के उद्देश्य से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु जब अचानक लेखक ने सेकण्ड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया तो नवाब साहब को अपनी वास्तविकता के प्रकट हो जाने का संकोच होने लगा। इसी कारण उन्होंने लेखक की संगति का कोई उत्साह नहीं दिखाया और वे असुविधा का अनुभव करने लगे।
(घ) लेखक की दृष्टि में फादर का जीवन किस प्रकार का था ?
उत्तर :
उत्तर-वे संन्यासी होते हुए भी बहुत आत्मीय स्नेही और अपनत्व भरे थे, वे राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे, वे करुणावान थे, मुख पर करुणा और सांत्वना के शांतिदायक भाव विराजमान रहते थे।
व्याख्यात्मक हलः
फ़ादर कामिल बुल्के संन्यासी होते हुए भी मन से संन्यासी नहीं थे। वह सांसारिक नाते-रिश्ते भी बनाते थे। उनका मन ममता, स्नेह, वात्सल्य और करुणा से ओत-प्रोत था। अपने आत्मीयों के लिए उनके हृदय में स्नेह और करुणा का आत्मीय सागर लहराता था। वे राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए उन्होंने निरंतर प्रयास किया। वे करुणावान थे। मुख पर करुणा और सांत्वना के शांतिदायक भाव विराजमान रहते थे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 3 = 6]
(क) कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है?
उत्तर :
यह कविता एक आह्वान गीत है। कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है। बादलों की गर्जना नवसृजन, नवजीवन का प्रतीक है। कवि अपेक्षा करता है कि लोग बादलों की गर्जना से उदासीनता छोड़ उत्साहित हो जाएँगे। ऐसी अपेक्षा करते हुए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है।
(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फाल्गुन में उमड़े प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
उत्तर-फाल्गुन मास में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य और उल्लास दिखाई पड़ता है। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। लताएँ और डालियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। पर्यावरण स्वयं प्रफल्लित हो उठता है।
व्याख्यात्मक हलः
फाल्गुन मास में प्राकृतिक सौन्दर्य का चरमोत्कर्ष देखा जा सकता है। यह मास वसंत ऋतु का स्वागत मास होता है। वृक्षों की डालियों पर हरे पत्तों और लाल कोंपलों के मध्य सुगन्धित रंग-बिरंगे पुष्पों की शोभा ऐसी प्रतीत होती है जैसे वृक्षों के गले में सुगन्धित पुष्पों की मालाएँ पड़ी हों। सर्वत्र उल्लास, उत्साह और प्रफुल्लता का वातावरण छा जाता है। मानव मन पर भी इस सौन्दर्य का व्यापक प्रभाव पड़ता है और फाल्गुन मास के सौन्दर्य से अभिभूत हो उसे अपलक निहारने का मन करता है।
(ग) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए।
उत्तर :
(उचित तर्कपूर्ण उत्तर पर अंक दें।)
व्याख्यात्मक हलः
हमरी द्रष्टि से कन्या के साथ दान की बात करना सर्वथः अनुचित है। कन्या कोई वस्तु नहीं जिसका दान किया जा सको उसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है। यह तो फूष-प्रट्यान समाज की न समझा का परिचायक है कि जिन बेटियों को हम देवीभानते है, उन्हीं को दान करने की बात कहते हैं।
जस लडका -लड़की एक समान है तो दान की बात का कोई आ ही नहीं होना चाहिए । यह सर्वथा अनुचित है।
(घ) ‘कन्यादान’ कविता की माँ परम्परागत माँ से कैसे भिन्न है?
उत्तर :
परंपरागत माँ अपनी बेटी को सबकुछ सहकर कर्तव्य पालन करने की सीख देती है। लेकिन कविता में वर्णित माँ की सोच भिन्न है। वह यह तो चाहती है कि लड़की विनम्र, मृदुभाषी, सहनशील हो लेकिन वह उसे निर्बल नहीं देखना चाहती। वह उसे भविष्य के संभावित खतरों के प्रति भी जागरुक करती है। माँ चाहती है कि उसकी बेटी शोषण का शिकार न हो।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए [3 × 2 = 6]
(क) ‘माता का अँचल’ पाठ की उन दो बातों का उल्लेख कीजिए, जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली?
उत्तर :
(उचित उत्तर पर अंक दें।)
व्याख्यात्मक हलः
माँ स्नेह, वात्सल्य और ममता का सागर होती है जिसके अंचल में छिपकर बच्चे को अपने दुःख से छुटकारा मिलता है, वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। पाठ में बालक भोलानाथ को विपदा के समय माँ के लाड़, प्यार व गोद की ज़रूरत पड़ती है तो वह उसकी शरण में आ जाता है। हमें यह बात बहुत अच्छी लगी क्योंकि लेखक ने माँ को सर्वोपरि दर्जा देते हुए बच्चे के जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया है। हमें इससे प्रेरणा मिलती है कि जीवन में माँ का होना बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण है, अत: माँ को उचित आदर-सम्मान दिया जाना चाहिए। पाठ में बच्चे मिलजुल कर खेलते हैं। बड़ों का आदर-सम्मान करते हैं। यह बात भी हमें बहुत अच्छी लगी क्योंकि मिलजुल कर खेलने से ही भाईचारे की भावना विकसित होती है। देश की एकता व अखंडता के लिए सभी लोगों में भाईचारा आवश्यक होता है। बच्चे मिलजुल कर खेलेंगे तो मिलजुल कर काम भी करेंगे और सभी के मिलजुल कर कार्य करने से ही देश की तरक्की संभव है। अगर हमें जीवन में सफल व्यक्ति बनना है तो बड़ों को प्रेम व आदर-सम्मान देकर, नैतिकता को अपनाकर ही सफल बन सकते हैं।
(ख) इंग्लैण्ड की महारानी के हिंदुस्तान आगमन पर अखबार क्या-क्या छाप रहे थे और रानी के आने के दिन वे चुप क्यों रह गए?
उत्तर :
- महारानी के स्वागत के लिए होने वाली तैयारियाँ।
- दौरे के दौरान उनके द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र।
- महारानी की जन्मपत्री, नौकरों, खानसामों, बावर्चियों एवं अंगरक्षकों की जानकारी।
- शाही महल में रहने और पलने वाले कुत्तों की तस्वीरें; (किन्हीं दो बिंदुओं का विस्तार अपेक्षित)
- अखबारों द्वारा ज़िंदा व्यक्ति की नाक लगाए जाने का प्रतीकात्मक विरोध/महारानी के आगमन को अहमियत न देना/पत्रकारिता की सही दिशा और सकारात्मक भूमिका की ओर संकेत / मानसिक गुलामी से मुक्त होने का संकेत। (कोई एक बिंदु अपेक्षित)
व्याख्यात्मक हल :
रानी के आने से पहले अखबारों में रानी की पोशाकों के रंग, उन पर आने वाले खर्च, रानी की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे छापने के साथ ही उनके नौकर-नौकरानियों बावर्चियों, खानसामों की जीवनियाँ यहाँ तक कि शाही महल के कुत्तों की तस्वीरें भी छापी गईं, लेकिन रानी के आगमन पर सब अखबार चुप थे। उस दिन न किसी उद्घाटन की खबर थी न ही कोई फीता काटा गया। कोई सार्वजनिक सभा भी नहीं हुई। ऐसा लग रहा था मानो सभी अखबार चुप रहकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा नाक लगाए जाने के प्रति अपना आक्रोश प्रकट कर रहे थे।
(ग) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर गंगटोक के मार्ग के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए जिसे देखकर लेखिका को अनुभव हुआ-“जीवन का आनंद है यही चलायमान सौंदर्य।”
उत्तर :
उत्तर-निरंतरता की अनुभूति कराने वाले पर्वत, प्रवाहमान झरने, फूल, घाटियाँ, वादियों के दुर्लभ नजारे, वेगवती तिस्ता नदी, उठती धुंध, ऊपर मँडराते आवारा बादल, हवा में हिलते प्रियुता और रूडोडेंड्रो के फूल; ये सभी चैरवेति-चैरवेति का संदेश दे रहे थे |
व्याख्यात्मक हल :
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका मौन भाव से शांत हो, किसी ऋषि की भाँति सारे परिदृश्य को अपने भीतर भर लेना चाहती थी। वह कभी आसमान छूते पर्वतों के शिखर देखती तो कभी ऊपर से दूध की धार की तरह झर-झर गिरते प्रपातों को, तो कभी नीचे चिकने-चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठला-इठला कर बहती चाँदी की तरह कौंध मारती बनी-ठनी तिस्ता नदी को, नदी का सौंदर्य पराकाष्ठा पर था। इतनी खूबसूरत नदी लेखिका ने पहली बार देखी थी, वह इसी कारण रोमांचित हो चिड़िया के पंखों की तरह हल्की थी। पर्वतों के शिखर से गिरता फेन उगलता झरना ‘सेवन सिस्टर्स वाटर फॉल’ मन को आह्लादित कर रहा था। लेखिका ने जैसे ही झरने की बहती जलधारा में पाँव डुबोया वह भीतर तक भीग गई और उसका मन काव्यमय हो उठा। जीवन की अनंतता का प्रतीक वह झरना जीवन की शक्ति का अहसास दिला रहा था। लेखिका ने कटाओ पहुँचकर बर्फ से ढंके पहाड़ देखे जिन पर साबुन के झाग की तरह सभी ओर बर्फ गिरी हुई थी। पहाड़ चाँदी की तरह चमक रहे थे। ये सभी चैरवेति-चैरवेति अर्थात जीवन के चलायमान होने का सन्देश दे रहे थे।
रखण्ड-‘रव’
(रचनात्मक लेवन वंड) (20 अंक)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (5)
(क) युवाओं का विदेशों के प्रति बढ़ता मोह
- भूमिका
- प्रतिभा पलायन के कारण
- समस्या के समाधान के उपाय
- इस दिशा में किए जा रहे प्रयास
- निष्कर्ष
उत्तर :
युवाओं का विदेशों के प्रति बढ़ता मोह
हमारे देश भारत की भूमि प्रतिभाओं की दृष्टि से अत्यन्त उर्वर है किन्तु आज अपने कार्यक्षेत्र में दक्ष इन उच्चकोटि की बौद्धिक प्रतिभाओं का बहुत तेजी से पलायन हो रहा है। किसी भी देश की युवा शक्ति देश के विकास और प्रगति का मुख्य आधार होती है। जिस जन्मभूमि का अन्न खाकर, वायु और जल से पोषित होकर और जिसकी पावन रज में खेलकर हम बड़े हुए हैं हमें उसके प्रति सदैव ऋणी रहना चाहिए किन्तु समय परिवर्तन के साथ युवाओं की सोच बदल रही है। आज युवाओं में पाश्चात्य संस्कृति के प्रति विशेष लगाव बढ़ रहा है। आत्मनिर्भर बनने के बाद एक सुविधा सम्पन्न जीवन जीने की अभिलाषा से आज युवक विदेशों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। विदेशों का स्वतन्त्र वातावरण और उच्चस्तरीय जीवन शैली के कारण विदेश जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। भारत में बढ़ती बेरोजगारी और विदेशों में रोजगार के अनगिनत अवसर, उच्च कोटि का वेतनमान, शिक्षा और अनुसंधान के नए अवसर प्राप्त होना भी इसका एक प्रमुख कारण है। आज का युवा अपनी मातृभूमि, भारतीय संस्कृति एवं जीवन शैली की उपेक्षा करने लगा है। इस प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए हमें बचपन से ही शिशुओं में देश प्रेम की भावना और राष्ट्र की जड़ों से जोड़ने वाले नैतिक मूल्य विकसित करने होंगे। साथ ही अपने देश में रोजगार और शैक्षिक अनुसंधान के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। आज भारत की गणना तेजी से उभरती विश्व शक्ति के रूप में की जाती है। प्रतिभा पलायन रोकने के लिए भारत में रोजगार के बेहतर अवसर और ‘स्टार्ट-अप’ जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। युवाओं को भी विदेशी मोह को त्याग कर अपनी प्रतिभा का प्रयोग देश हित में करना अपना नैतिक उत्तरदायित्व समझना होगा।
(ख) पर्यावरण हमारा रक्षा कवच
- पर्यावरण का अर्थ
- संरचना के घटक
- पर्यावरण प्रदूषण के कारण और दुष्प्रभाव
- पर्यावरण सुरक्षा के उपाय
- विश्व पर्यावरण दिवस
उत्तर :
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच
पर्यावरण शब्द ‘परि’ और ‘आवरण’ दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका अभिप्राय है-हमारे आसपास का वह आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं। पर्यावरण प्रकृति की ही देन है। यह उन सभी भौतिक, रासायनिक और जैविक तत्वों का योग है जो सम्पूर्ण सृष्टि के प्राणियों, जीव-जन्तुओं और अजैविक संघटकों और उनसे जुड़ी प्रक्रियाओं जैसे-पर्वत, चट्टानों, नदी, वायु और जलवायु के तत्व आदि के लिए परम आवश्यक है। प्रकृति और पर्यावरण में अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध है। हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव ने पर्यावरण में उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग कर अपना विकास किया है। पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है किन्तु आज मानव प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करके पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग, नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में अपशिष्ट पदार्थ डालना, कल-कारखानों और वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआँ हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है, जिससे पृथ्वी का सन्तुलन बिगड़ रहा है और हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जल स्रोतों की सुरक्षा, वर्षा के जल का संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, पानी और बिजली का अपव्यय रोकना, निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना तथा वृक्षारोपण जैसे उपाय अपनाने होंगे। निष्कर्षतः पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करना हम सब का कर्त्तव्य है। इसी उद्देश्य से विश्व में जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
(ग) परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
संकेत बिन्दु-परीक्षा के नाम से भय, पर्याप्त तैयारी, प्रश्नपत्र देखकर भय दूर हुआ।
उत्तर :
परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
छात्र जीवन, जीवन का सबसे सुनहरा दौर होता है, जब बच्चे मौज- मस्ती के साथ- साथ खूब मेहनत कर अपने जीवन को एक दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते हैं। लेकिन छात्र जीवन में “परीक्षा” नाम के शब्द से सभी छात्रों को बहुत अधिक डर लगता है। क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर हमारे भविष्य की रूपरेखा तय होती है। इसलिए जैसे-जैसे परीक्षाएं नजदीक आती हैं विद्यार्थियों के मन के अंदर का डर बढ़ता जाता है। परीक्षा का समय विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। उनके परिश्रम की सफलता परीक्षा के परिणाम पर निर्भर करती है इसीलिए विद्यार्थियों पर उसका दबाव बढ़ जाता है। मेरी वार्षिक परीक्षा से पूर्व मेरी भी कुछ ऐसी ही मनोदशा थी। इस समय खेलकूद, टी.वी. और मनोरंजन को छोड़कर मेरा पूरा ध्यान केवल पढ़ाई पर केंद्रित था। मेरे माता-पिता भी इसमें मेरा पूरा सहयोग कर रहे थे। यद्यपि मेरी सभी विषयों की तैयारी बहुत अच्छी थी फिर भी मन में आशंका रहती थी कि कोई प्रश्न ऐसा न हो जिसे मैं हल न कर सकूँ। इसीलिए प्रथम परीक्षा के दिन मैंने अपने सहपाठियों से भी अधिक बात नहीं की।
परीक्षा कक्ष में पहुँचकर मैंने ईश्वर का स्मरण करके अपने मन को एकाग्र किया। प्रश्न-पत्र हाथ में आते ही मेरा दिल तेजी से धकड़ने लगा, पर उसे देखते ही मैं खुशी से झूम उठी क्योंकि सभी प्रश्न मुझे बहुत अच्छी तरह आते थे। पूर्ण आत्मविश्वास और मनोयोग से मैं अपना प्रश्न पत्र हल करने लगी। मैंने लेख की सुन्दरता और स्पष्टता का विशेष ध्यान रखा। इस प्रकार मैंने अपना प्रश्न-पत्र निर्धारित समय से पूर्व ही हल कर लिया। तत्पश्चात मैंने अपने उत्तर क्रमानुसार दोहराए। समय की समाप्ति पर उत्तर पुस्तिका कक्ष-निरीक्षक को सौंप कर मैं परीक्षा कक्ष से बाहर आ गई। सभी विद्यार्थियों के चेहरे प्रश्न पत्र अच्छा होने की खुशी से चमक रहे थे। उस दिन मैंने यह अनुभव किया कि परीक्षा से पूर्व की गई अच्छी तैयारी हमारे मन में आत्मविश्वास भर देती है। परीक्षा से पूर्व जो मेरी मनोदशा थी उसके ठीक विपरीत अब मेरे मन में पेपर अच्छा होने की खुशी और सन्तोष था।
प्रश्न 5.
पड़ोस में आग लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से पहुँचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती पत्र अपने जिला अधिकारी को लिखिए। (5)
अथवा
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने मित्र को उसकी मंगलमय यात्रा की कामना करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
पत्र लेखन
सेवा में,
जिला अधिकारी,
गोमती नगर,
लखनऊ (उ. प्र.)
दिनांक …………..
विषय-दमकलकर्मियों द्वारा विलम्ब से पहुँचने के सन्दर्भ में।
महोदय,
अत्यंत खेद के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि हमारी आवासीय कॉलोनी सरोजिनी नगर सेक्टर-20 में कल प्रातः हमारे पड़ोस के एक घर में आग लग गई थी। इस दुर्घटना की खबर तुरन्त ही अग्निशमन विभाग को और पुलिस को दी गई, लेकिन दमकल अधिकारी और पुलिस, आग लगने के दो घंटे बाद दुर्घटनास्थल पर पहुँचे। तब तक आग ने भीषण रूप ले लिया था। लोगों ने मिलकर आग बुझाने की कोशिश भी की, लेकिन यह उनके वश से बाहर था। उस भीषण आग में पूरा घर जलकर राख हो गया। आसपास की एक-दो दुकानें भी आंशिक रूप से जल गईं। एक-दो मवेशी भी आग की चपेट में आकर झुलस गए। बस, गनीमत यह रही कि समय रहते, घर के अंदर से लोग बाहर आ गए थे। इस घटना को लेकर सभी कॉलोनी निवासियों में रोष व्याप्त है।
हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस बात की गंभीरता को समझते हुए, उन पुलिस अधिकारियों और दमकल अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए जिन्होंने अपने कर्त्तव्यपालन में इतनी लापरवाही दिखाई जिससे लाखों का नुकसान हुआ और एक परिवार सड़क पर आ गया। अगर समय रहते वे दुर्घटना-स्थल पर पहुँच जाते तो शायद काफी कम नुकसान झेलना पड़ता।
हमें विश्वास है कि आप त्वरित रूप से इस बात का संज्ञान लेंगे। धन्यवाद।
भवदीय,
क, ख, ग
सरोजिनी नगर,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश।
अथवा
25, जागृति बिहार,
सरोजिनी नगर,
दिल्ली। दिनांक ………..
प्रिय मित्र प्रत्यांशु,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुमने वाद-विवाद प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अपनी इस अभूतपूर्व सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मुझे ज्ञात हुआ है कि अब तुम इस प्रतियोगिता में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अगले माह अमेरिका जाओगे।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस प्रतियोगिता में अवश्य विजयी होकर देश को गौरवान्वित करोगे। मित्र, तुम इसी प्रकार दृढ़ निश्चय, लगन व परिश्रम के द्वारा निरन्तर उन्नति के चरम शिखर को प्राप्त करो। मैं तुम्हारी इस महत्वपूर्ण यात्रा के लिए तुम्हें अग्रिम शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। ईश्वर तुम्हारी यात्रा को मंगलमय बनाएँ और तुम इस प्रतियोगिता में विजयी होकर लौटो। हमारी पूरी मित्र-मण्डली तुम्हारी इस सफलता से बहुत उत्साहित है। हम सभी को तुम पर गर्व है। आदरणीय अंकल-आंटी जी को मेरा प्रणाम कहना।
मंगलकामनाओं सहित
तुम्हारा अभिन्न मित्र
अ ब स
प्रश्न 6.
(क) ‘समर कूल’ पंखों के प्रचार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
प्रदूषण से बचने के लिए जनहित में जारी एक विज्ञापन पर्यावरण विभाग की ओर से लिखिए।
उत्तर :
अथवा
(ख) ‘उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटकों को आकर्षित करते हुए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तर :
सामान्य त्रुटियाँ
- कुछ विद्यार्थी विज्ञापन से सम्बन्धित मुख्य विषय से भटक जाते हैं और अनावश्यक विस्तार कर देते हैं।
- उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करते समय रह पाया गया कि कुछ विद्यार्थी बहुत अधिक चित्रों का प्रयोग कर देते हैं, जिससे मुख्य विषय स्पष्ट नहीं हो पाता और विज्ञापन प्रभावी नहीं लगता है।
- कुछ विद्यार्थी विज्ञापन में बहुत लम्बे वाक्यों और क्लिष्ट अथवा असहज भाषा का प्रयोग करते हैं।
निवारण
- यह आवश्यक है कि विज्ञापन में कम शब्दों में उत्पाद अथवा विषय सम्बन्धित सूचना को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाए।
- विज्ञापन की भाषा उपभोक्ता वर्ग के अनुरूप अर्थात सहज और वाक्य छोटे होने चाहिए।
- यथोचित चित्रों अथवा काव्य-पंक्तियों के प्रयोग द्वारा विज्ञापन को आकर्षक और प्रभावी बनाया जा सकता है।
प्रश्न 7.
(क) माननीय प्रधानमन्त्री द्वारा राष्ट्र को दशहरा के पावन पर्व की बधाई एवं शुभकामना का लगभग 40 शब्दों में सन्देश लिखिए। (2.5)
अथवा
अपने मित्र को परीक्षा में असफलता प्राप्त होने पर सांत्वना सन्देश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सामान्य त्रुटियाँ
- अधिकांश विद्यार्थी सन्देश लेखन व पत्र लेखन के मध्य के भेद को समझने में असमर्थ रहते हैं।
- छात्र ‘दशहरा’ पर्व की शुभकामना देने के स्थान पर दशहरा कब व कैसे मनाया जाता है, का वर्णन करते हैं।
निवारण
- सन्देश लेखन का कक्षा में पर्याप्त अभ्यास करना चाहिए।
- व्यर्थ की बातों का समावेश नहीं करना चाहिए।
अथवा
(ख) विवाह की वर्षगांठ की ढेरों शुभकामनाओं का संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
उत्तर :