Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 5 with Solutions
समय : 2.00
घण्टा पूणांक:40
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और खंड ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड-‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड-‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रखण्ड-‘क’ (20 अंक)
(पाठ्य-पुस्तक व पूरक पाठ्य-पुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) फ़ादर बुल्के को हिंदी के बारे में क्या चिंता थी?
उत्तरः
- हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की चिंता।
- हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा से चिंता।
व्याख्यात्मक हल:
फादर बुल्के को हिंदी भाषा से बहुत लगाव था। हिंदी के लिए वे समर्पित भाव से तल्लीन रहे। वे चाहते थे कि हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो जाए। जब कभी वे हिंदीभाषियों को हिंदी की उपेक्षा करते देखते तो चिंतित हो उठते थे। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के मार्ग में आने वाली समस्याओं से वे परेशान रहते।
(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
उत्तरः
- अधिक दूरी की यात्रा नहीं होने के कारण।
- भीड़ से बचने के लिए।
- एकांत में नई कहानी के बारे में सोचने के लिए।
- खिड़की से प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेने के लिए।
(कोई दो बिन्दुओं का उल्लेख अपेक्षित)
व्याख्यात्मक हल:
लेखक एकांत में बैठकर नई कहानी के बारे में सोचना चाहता था। इसलिए वह भीड़ से बचना चाहता था। इसके साथ ही वह खिड़की के बाहर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी लेना चाहता था। इसी कारण उसने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।
(ग) फादर को याद करना एक उदास, शान्त संगीत को सुनने जैसा है ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
फादर की मृत्यु के पश्चात उनकी अनुपस्थिति सभी को, विशेषकर लेखक को बहुत खलती थी। जिस प्रकार उदास-शान्त संगीत
को सुनने पर एक निस्तब्धता सी छा जाती है और आँखें भर उठती हैं, उसी प्रकार फादर को याद करते ही लेखक के स्मृति-पटल पर फादर के साथ बिताए हुए एक-एक पल जीवंत हो उठते हैं और उनको याद करके लेखक का मन अवसाद और शान्ति के सागर में डूब जाता है। इसीलिए लेखक ने फादर की याद को एक उदास शान्त संगीत सुनने जैसा कहा है।
(घ) लेखक ने इच्छा होते हुए भी नवाब साहब के खीरा खाने के आग्रह को दोबारा क्यों नकार दिया? जबकि खीरे की फाँकों को देखकर लेखक के मुँह में पानी आ गया था। ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तरः
लेखक स्वाभिमानी था। नवाब साहब के अकस्मात हुए भाव परिवर्तन से लेखक समझ गया था कि नवाब साहब अपनी शराफत का दिखावा करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वह नवाब साहब से उससे किए गए खीरा खाने के आग्रह को पहले ही ठुकरा चुका था। अतः अब अनुकूल परिस्थितियाँ और खीरा खाने की इच्छा होते हुए भी लेखक ने आत्म-सम्मान की रक्षा करते हुए खीरा खाने से पुनः इंकार कर दिया।
सामान्य त्रुटियाँ:
प्रायः विद्यार्थी फादर की स्मृति की उदास, शान्त संगीत सुनने से समानता दर्शाने में असमर्थ रहते हैं और मनगढंत तथा अस्पष्ट उत्तर देते हैं। इसी प्रकार नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के अनुरोध को ठुकराने का कारण भी वे भूख न होना अथवा खीरा खाने का मन न होना आदि लिखते हैं।
निवारण:
- विद्यार्थी पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी गद्य पाठों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा प्रश्न-पत्र में पूछे गए प्रश्नों का आशय अथवा मूल भाव समझ कर ही उसका स्पष्ट एवं सटीक उत्तर लिखने का प्रयास करें।
- लेख की स्पष्टता एवं सुन्दरता का विशेष ध्यान रखें तथा वर्तनीगत अशद्धियाँ न करें।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए [2 × 3 = 6]
(क) फाल्गुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँख हट नहीं रही है?
उत्तरः
फाल्गुन की शोभा कवि की आँखों को भा गई है, प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य इतना आकर्षक है कि उसकी दृष्टि उससे हटती ही नहीं,मन भरता ही नहीं।
व्याख्यात्मक हल:
फाल्गुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि घर-घर को महकाती पवन, आकाश में अठखेलियाँ करते पक्षी, पत्तों से लदी डालियों और मंद सुगंध से परिपूर्ण पुष्प समूह के इन सारे दृश्यों ने कवि को मंत्रमुग्ध-सा कर दिया था। इसलिए कवि की आँख फाल्गुन से हट नहीं रही थी।
(ख) ‘उत्साह’ कविता में बादल के माध्यम से कवि निराला के जीवन की झलक मिलती है। इस कथन से आप कितने सहमत/असहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तरः
निराला जी स्वाभिमानी विद्रोही स्वभाव के क्रांति के समर्थक तथा प्रकृति प्रेमी थे। उत्साह कविता में भी वे जहाँ एक ओर बादलों को गरज द्वारा क्रांति का सूत्रपात करने का आह्वान करते हैं वहीं दूसरी ओर वे बादलों से पीड़ित जनों को शांति व सुकून प्रदान करने को कहते हैं। इस प्रकार उत्साह कविता में निराला के जीवन की झलक मिलती है।
(ग) ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भम्र क्यों कहा गया है?
उत्तरः
ये भ्रामक शब्द हैं, जिनसे स्त्री को सुख का भ्रम होता है। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।
व्याख्यात्मक हल:
स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं, अर्थात ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं। ये स्त्री जीवन के लिए बंधन का काम करते हैं अतः इस बंधन में नहीं बँधना चाहिए। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।
सामान्य त्रुटियाँ:
- अधिकतर विद्यार्थी फाल्गुन माह अर्थात बसन्त ऋतु को श्रावण माह अर्थात वर्षा ऋतु समझते हुए उस समय के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन करते हैं जो उचित नहीं है।
- ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र-आभूषणों के लिए प्रयुक्त विशेषण ‘शाब्दिक-भ्रम’ का अर्थ भी अधिकतर विद्यार्थियों को स्पष्ट नहीं होता। वे उसे शब्दों का भ्रम समझकर व्याख्या करते हैं।
निवारण
- विद्यार्थियों को अपने शिक्षक की सहायता से ध्यानपूर्वक पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी कविताओं का प्रतिपाद्य, मूलभाव, काव्यगत सौन्दर्य एवं काव्य में प्रयुक्त शब्दों के प्रतीकात्मक अर्थ ध्यानपूर्वक समझने चाहिए।
- प्रश्न-पत्र में पूछे गए प्रश्नों का निर्धारित शब्द सीमा के अनुरूप स्पष्ट एवं सटीक उत्तर दें।
(घ) ‘आग रोटियाँ सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं’। उक्त पंक्ति से क्या संदेश दिया गया है।
उत्तरः
इस पंक्ति में माँ अपनी बेटी को नसीहत दे रही है। वह कहती है कि आग की उपयोगिता घर में रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, स्वयं के जलने के लिए नहीं। समाज में स्त्री की स्थिति अभी भी बहुत दयनीय है। दहेज लोभी लोग स्त्रियों को आग की भेंट चढ़ा देते हैं। या अत्याचार पूर्ण व्यवहार से तंग आकर कोई नववधू स्वयं को जलाकर आत्महत्या कर लेती है। इस पंक्ति का संदेश यही है कि कोई भी स्त्री अत्याचार को न सहे, उसका विरोध करे। न तो स्वयं को जलाकर आत्महत्या कर आग का दुरुपयोग करे और न ही किसी को हथियार के रूप में प्रयोग करने दे।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए [3 × 2 = 6]
(क) आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता था?
उत्तरः
भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता था, क्योंकि
- बच्चे को अपनी उम्र के बच्चों के साथ ही तरह-तरह से खेल खेलने को मिलते हैं और भोलानाथ भी अपने साथियों के साथ उन सब खेलों का आनन्द लेना चाहता होगा।
- भोलानाथ अपने साथियों को देखकर अपने सभी दुःख-दर्द भूल जाता था। उसे मित्रों के साथ बहुत मज़ा आता था।
- यदि भोलानाथ अपने साथियों के सामने रोना-सिसकना जारी रखता तो वे उसकी हँसी उड़ाते और उसे अपने साथ खेलने के लिए नहीं बुलाते।
(ख) ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ के बहाने भारतीय शासनतन्त्र पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए तथा पत्रकारों की भूमिका पर भी
टिप्पणी कीजिए।
उत्तरः
- शासन तन्त्र में – मानसिक गुलामी, चाटुकारिता, गैर जिम्मेदारी, दिखावे की प्रवृत्ति;
- पत्रकारों में – कर्तव्य बोध का अभाव, फैशन और चाटुकारिता की खबरें, मौन विरोध।
व्याख्यात्मक हल:
भारतीय शासन तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता एवं बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी अपनी असुरक्षा से उत्पन्न चिंता को ही दर्शाती है। पदों के छिन जाने, स्थानांतरित किए जाने, पदोन्नति रुकने जैसी हीन मानसिकता से सरकारी तंत्र ग्रस्त है तथा यह स्थिति भारतीय अधिकारियों की मानसिकता पर करारा व्यंग्य करती है, जो विदेशी शासन के आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। पत्रकारों द्वारा रानी की पोशाकों और राज परिवार से सम्बंधित खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर छापना भी उचित नहीं है। इस तरह की पत्रकारिता से आम जनता तथा युवा पीढ़ी प्रभावित होने लगती है। यदि ख्याति प्राप्त व्यक्ति का चरित्र अच्छा है तब तो ये अच्छी बात है अन्यथा इससे समाज का संतुलन बिगड़ने और आदर्शों को नुकसान पहुँचने का डर रहता है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है।
जबकि पत्रकार और उनकी पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है जो राष्ट्र और समाज दोनों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किंतु इस तरह पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं कुंठित करती है। युवा पीढ़ी देश की रीढ़ है, उसके कमजोर होने से देश कहाँ जाएगा, युवा पत्र-पत्रिकाओं को पढ़कर चर्चित हस्तियों के खान-पान एवं पहनावे को अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं। अपनी इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित-अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं करते।
(ग) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर लिखिए कि देश की सीमा पर सैनिक किस प्रकार की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति भारतीय युवकों का क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तरः
- परिवार से दूर रहना।
- प्रकृति के प्रकोप, कड़कड़ाती ठंड, तूफानों के बीच जान हथेली पर रखकर दुश्मन की गोलियों का सामना करना।
- देश रक्षा में तत्पर, स्नेह और सम्मान, देशभक्ति और कर्त्तव्यनिष्ठा।
व्याख्यात्मक हल:
देश की सीमा पर सैनिक कड़कड़ाती ठंड में भी पहरा देते हैं जहाँ गर्मी में भी तापमान 15 डिग्री सेल्सियस होता है। वे सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर डटे रहते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें। ये सैनिक हर पल कठिनाइयों से जूझते हुए, प्रकृति के प्रकोप को सहते हुए, अपनी जान हथेली पर रखकर, भूखे-प्यासे रहकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। उनके प्रति भारतीय युवकों का भी उत्तरदायित्व बनता है। युवकों को उनके परिवार वालों के साथ हमेशा सहानुभूति, प्यार व सम्मान के साथ पेश आना चाहिए तथा उन्हें हर प्रकार की सहायता देनी चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि उनको किसी प्रकार का कोई कष्ट या अभाव न हो, उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा सही प्रकार से हो। युवकों को अपने सैनिकों की सलामती के लिए भी दुआ करनी चाहिए।
रखण्ड-‘ख’
(रचनात्मक लेवन खंड) (20 अंक)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (5)
(क) साक्षरता अभियान
- भूमिका
- साक्षरता का महत्व
- साक्षरता अभियान का लक्ष्य एवं प्राप्ति के उपाय
- निष्कर्ष
उत्तरः
साक्षरता अभियान:
साक्षरता एक मानव अधिकार, सशक्तिकरण का मार्ग और व्यक्ति तथा समाज के विकास का माध्यम है। शिक्षा विहीन व्यक्ति सींग और पूँछ रहित पशु के समान होता है। शिक्षा ज्ञान का विकास करके हमें परिवेश, स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाती है। ‘राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना 5 मई, 1988 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने की थी। ‘साक्षर भारत मिशन’ का मुख्य लक्ष्य 15 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग के लगभग सात करोड़ व्यस्कों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करता है। इसके साथ-साथ इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न साक्षरता दर वाले राज्यों के विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यकों, अन्य वंचित वर्गों एवं नव किशोर वर्ग को शिक्षित करने में प्राथमिकता प्रदान करने का ध्येय है। अभियान का लक्ष्य सभी भारतीयों को साक्षर बनाना है।
भारत का एकमात्र प्रदेश केरल पूर्णतः साक्षर है। शिक्षा मनुष्यों को संस्कारवान बनाने के साथ ही अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक करने, गरीबी, लिंग अनुपात सुधारने तथा भ्रष्टाचार और आतंकवाद को समाप्त करने में भी सक्षम बनाती है। साक्षरता अभियान के अन्तर्गत विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ प्रौढ़ निरक्षरों को साक्षर बनाने का भी लक्ष्य है। यह कार्य केवल सरकारी स्तर पर नहीं किया जा सकता अतः इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना होगा। शिक्षित और साक्षर लोग ही मिलकर प्रजातन्त्र को सफल बनाएँगे और स्वर्णिम भारत का निर्माण करेंगे। वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आर्थिक स्वतन्त्रता एवं सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए ‘प्रधानमन्त्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान’ भी शुरू किया गया है।
(ख) कोराना वायरस
संकेत-बिन्दु-कोराना का संक्रमण, बचाव के उपाय, लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव, टीकाकरण और उसकी उपयोगिता
उत्तरः
कोरोना वायरस विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया है। इस महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई। लेकिन धीरे-धीरे यह महामारी दुनिया के प्रत्येक देश में फैल गई। वैश्विक महामारी कोविड-19 का वायरस (सीओवी) अत्यंत सूक्ष्म (छोटा) किन्तु प्रभावी वायरस है। (दिसम्बर 2019) में चीन के वुहान से शुरू हुए इस घातक वायरस के कारण विश्व के अनेक देशों में लाखों लोग अकाल मृत्यु का शिकार बने। इसके प्रारम्भिक लक्षणों में सर्दी, जुकाम, बुखार, नाक बहना, गले में खराश और बाद में साँस लेने में तकलीफ होना, किडनी फेल होना तथा अंत में मृत्यु होना जैसे दुष्परिणाम सामने आए। आकार में इन्सान के बाल से भी लगभग 900 गुना छोटा यह वायरस बेहद खतरनाक है और उसका संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में बहुत तेजी से फैलता है जिसके कारण यह कुछ ही समय में पूरी दुनिया के लोगों में फैल गया। हजारों लोग अभी भी संक्रमित हैं।
इससे बचाव के लिए आवश्यक है कि हम बार-बार साबुन से हाथ धोएँ, अनावश्यक घर से बाहर न निकलें, सामाजिक दूरी का पालन करें और मास्क का उपयोग करें। संक्रमित होने पर अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखें। कोरोना के संक्रमण को तेजी से फैलने से रोकने हेतु सरकार द्वारा समय-समय पर लॉकडाउन घोषित किया गया। सभी शिक्षण संस्थाएँ बंद करके विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण सुविधा प्रदान की जा रही थी। लेकिन कोविड-19 से बचाव का टीका आने के बाद सरकार ने मुस्तैदी से टीकाकरण अभियान शुरू किया और देश के करीब 70-80% लोगों को कोरोना कवच के रूप में टीका लग चुका है। चूँकि अभी महामारी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। अतः आवश्यक है कि हम भयमुक्त होकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का पालन करें, पौष्टिक आहार लें। योग-व्यायाम करें तथा पुस्तकों से दोस्ती करें।
(ग) पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
संकेत-बिन्दु-स्वतन्त्रता मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार, पराधीनता नरक के समान, महान पुरुषों के विचार, स्वतन्त्रता की रक्षा।
उत्तरः
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं ‘स्वतंत्रता मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार है।’ स्वतंत्रता केवल मनुष्यों का नहीं समस्त प्राणियों का अधिकार है। प्रत्येक प्राणी चाहे वह नर हो या नारी, पशु हो या पक्षी सभी स्वतंत्र रहना चाहते हैं। जीवन की यदि कोई विडम्बना है तो वह है-पराधीनता। रूसो ने कहा है-“मनुष्य स्वतंत्र उत्पन्न होता है, किन्तु सब जगह वह बन्धनों से जकड़ा है।” नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने भी कहा था-“मनुष्य के लिए कठोरतम दंड है-पराधीन होना।” पराधीनता को शत्रु करार देते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ में कहा है-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’ कवि श्री वियोगी हरि लिखते हैं-जो मनुष्य पराधीन नहीं उनके लिए स्वर्ग-नरक में अन्तर नहीं। इसके विपरीत जो मनुष्य पराधीन हैं, उनके लिए स्वर्ग भी नरक के समान होता है। स्वाधीनता जीवन का अमृत है और पराधीनता विष।
पराधीन व्यक्ति स्वप्न में भी सुख का अनुभव नहीं कर सकता है। समस्त भोग विलास व भौतिक सुखों के रहते हुए भी यदि वह स्वतंत्र नहीं है तो उसके लिए सब व्यर्थ है। स्वाधीन प्राणी की भावनाओं पर कोई अंकुश नहीं होता। वह स्वेच्छा से विचरण करता है। इंसान तो क्या पक्षी भी पिंजरे में रहकर स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा आज़ाद रहकर भूखा रहना अधिक पसंद करते हैं। प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी ने कहा है-“हम पक्षी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे।”
प्रश्न 5.
अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित की जाए। इसकी उपयोगिता भी लिखिए। (5)
अथवा
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तरः
पत्र लेखन
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
डी.ए.वी. स्कूल (विद्यालय),
पंजाबी बाग, दिल्ली।
विषय-रंगमंच प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन हेतु।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि अपने विद्यालय में ग्रीष्मावकाश में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से रंगमंच प्रशिक्षण के लिए दस दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन करने के लिए अनुमति प्रदान करें।
रंगमंच का प्रशिक्षण लेने से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास होने के साथ ही उसकी दबी-छिपी प्रतिभा को निखरने का अवसर प्राप्त होता है तथा छात्र अभिनय व कला द्वारा अन्तर्निहित शक्तियों को बाहर निकालते हैं, इसके साथ-साथ कुछ उच्छृखल छात्रों को भी एक दिशा मिल जाती है जिससे वे अपना समय इधर-उधर व्यतीत न कर एक उद्देश्यपूर्ण कार्य में लगाते हैं।
आशा है कि आप शीघ्रातिशीघ्र इस कार्यशाला का आयोजन करने की अनुमति प्रदान करेंगे।
धन्यवाद !
प्रार्थी,
अभिषेक शर्मा
अनु. 323 दशम क,
8 मार्च, 20xx
अथवा
कालिदास मार्ग,
नई दिल्ली-18,
दिनांक-6 जून 20….।
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है तुम्हारे परिवार में सब सकुशल होंगे। मन में शिमला और तुम्हारी असंख्य स्मृतियाँ संजोकर मैं कल प्रातः यहाँ पहुँचा। मित्र, मैं तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ। इस पर्वतीय शिमला यात्रा से मैं इतना अभिभूत हुआ हूँ कि उस अनुभूति को शब्दों में व्यक्त करना असंभव-सा लग रहा है।
मित्र तुम्हारा शहर देवदार, चीड़ और सेब के जंगलों से घिरा हुआ है। तुम्हारे साथ इसके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए अविस्मरणीय पल थे। चारों ओर हरी-भरी मखमली चादर ओढ़े, फूलों की खुशबू तथा पेड़ों के अप्रतिम सौंदर्य से ओत-प्रोत प्रकृति का अनुपम खजाना शिमला, सचमुच पर्वतीय क्षेत्रों की धड़कन है। वहाँ के पहाड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई ऋषि दीर्घकाल से ध्यानस्थ अवस्था में बैठा है। मित्र, ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, कल-कल करते झरने देखकर हमारा मन कितना रोमांचित था। घुमावदार सड़कें, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, अद्भुत मंजर देखकर मैं बहुत हतप्रभ था।
मित्र ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे साथ बिताया यह समय शायद मैं कभी भूल नहीं सकता। झुलसाती गर्मी से दूर, तुम्हारे साथ शिमला के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए सुखद होने के साथ शिक्षाप्रद भी रहा।
चाचा जी को मेरा सादर नमस्ते कहना। रिंकू को प्यार।
तुम्हारा मित्र,
संतोष।
प्रश्न 6.
(क) आपके क्षेत्र में एक नया पब्लिक स्कूल खुला है उसके प्रचार के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आपके नगर में साइकिल की नई दुकान खुली है। उसके लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
अथवा
(ख) अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
प्रश्न 7.
(क) अपनी छोटी बहन के जन्मदिवस पर उसे बधाई सन्देश लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
अथवा
दीपावली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक सन्देश लिखिए। (2.5)
उत्तरः
अथवा
(ख) ‘स्वतन्त्रता दिवस’ की बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में देशवासियों को बधाई सन्देश लिखिए।
उत्तरः