Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 3 with Solutions
निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
- प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।
खंड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) लेखक ‘रवींद्र केलेकर’ ने जापान में मानसिक रोग अधिक होने के क्या कारण बताए हैं?
उत्तरः
लेखक ‘रवींद्र केलेकर’ को एक बार जापान जाने का अवसर मिला। वहाँ उनके एक मित्र ने उन्हें बताया कि वहाँ के 80 फीसदी लोग मानसिक रूप से रोगी हैं। इसका कारण है, उनकी भागदौड़ भरी जिंदगी। जापान जैसा छोटा-सा देश अमरीका जैसे बड़े देश से प्रतिस्पर्धा में लगा रहता है, जिसके कारण जापानियों को अपने जीवन की रफ्तार बहुत बढ़ानी पड़ती है। एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करते हैं। वहाँ कोई बोलता नहीं, सब बकते हैं, कोई चलता नहीं, सब दौड़ते हुए दिखाई देते हैं। इससे तनाव पैदा होता है और यही तनाव मानसिक रोगों का रूप ले लेता है।
(ख) वजीर अली को जांबाज सिपाही कहना किस प्रकार उचित है?
उत्तरः
वज़ीर अली एक भारतीय सैनिक था। उसके दिल में अपने देश के प्रति प्रेम और अंग्रेजों के प्रति नफरत कूट-कूट कर भरी थी। वह अकेला ही पूरी अंग्रेजी सेना को चकमा देने के लिए काफी था। यह जानते हुए भी कि लेफ्टिनेंट और करनल लाव लश्कर के साथ उसे तलाश रहे हैं वह अकेला उनके खेमे में दाखिल हो गया। उन्हीं के हाथों से उन्हें सबक सिखाने के लिए कारतूस भी ले लिए और जाते-जाते अपना परिचय भी दे गया। ऐसे व्यक्ति को जांबाज़
सिपाही कहना बिल्कुल उचित है।
(ग) कवि ‘सुमित्रानन्दन पन्त’ ने झरनों का सजीव वर्णन किया है। कैसे?
उत्तरः
कवि सुमित्रानन्दन पन्त’ प्रकृति प्रेमी कवि माने जाते हैं। ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता इसका जीवन्त उदाहरण है। पावस ऋतु के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों का नजारा किस प्रकार बदलता रहता है, इसका जीवन्त वर्णन करते हुए कवि ने बताया है कि पर्वतों के बीच बहते हुए झरने, ऊँचाई से गिरने के कारण जो ध्वनि उत्पन्न करते हैं, वह मानो झरनों द्वारा पर्वतों की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है। सफेद झागयुक्त झरनों का सौन्दर्य मोती की माला की समानता कर
रहा है और सम्पूर्ण दृश्य में चार चाँद लगा रहा है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) राहुल देश की सीमा पर पहरा दे रहा था। तभी उसे दूर से कराहने की आवाज सुनाई दी। उसने देखा कि विरोधी देश के एक सिपाही को कुत्ते ने काट लिया है और वह बुरी तरह जख्मी हो गया है। पर आखिर वह हमारी सीमा के पास कर क्या रहा था? अब राहुल समझ नहीं पा रहा था कि वह शत्रु को गिरफ्तार करे या पहले उसका इलाज करे। कुछ पल सोच कर उसने उस सिपाही की चोट से रक्त साफ किया, मरहम लगाया, उसे दवा दी और कुछ देर बाद जब उसका दर्द शांत हो गया तब उससे पूछताछ शुरू करना ठीक समझा।
इस उदाहरण में राहुल के व्यक्तित्व को आप मनुष्यता कविता के आधार पर उचित ठहराएंगे या कर चले हम फिदा कविता के आधार पर गलत? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
अथवा
(ख) पूनम कुछ दिन से स्वस्थ महसूस नहीं कर रही थी। कभी चिकित्सक को दिखाती तो कभी लोगों से सलाह लेती। उसकी एक सहेली ने उसे कहा कि वह ध्यान लगाना शुरू करे। उससे उसे बहुत राहत मिलेगी। वह ध्यान लगाने बैठती किंतु विचारों की उथल-पुथल उसे और परेशान कर लेती। इस संबंध में उसने कई कार्यशालाओं में भी भाग लिया। कोई किसी तरह से ध्यान लगाने को कहता तो कोई किसी तरह से। हारकर उसने ध्यान लगाने का विचार ही छोड़ दिया और फिर से उसी भागदौड़ में लग गई। ‘झेन की देन’ पाठ के आधार पर पूनम को क्या सलाह देना चाहेंगे?
उत्तरः
(क) उपरोक्त उदाहरण में राहुल एक भारतीय सैनिक है, जो सीमाओं पर तैनात होकर अपने देश की रक्षा कर रहा है। पर उससे भी पहले वह एक इंसान है और इंसानियत के नाते जो उसका सर्वप्रथम कर्तव्य था, उसने वही निभाया। किसी भी अन्य व्यक्ति से हमारा कोई भी रिश्ता क्यों न हो पर सबसे ऊपर और सबसे पहले इंसानियत का रिश्ता होता है। जब एक घायल सैनिक को राहुल ने देखा तो वह उसे बंदी भी बना सकता था, किंतु मानवता के हित को ध्यान में रखते हुए उसने उसकी देखभाल की। उसकी तकलीफ को देखते हुए उसके प्रति उसके मन में दया और करुणा का भाव जागा। उसका ऐसा करना मनुष्यता कविता के आधार पर बिल्कुल उचित है क्योंकि कवि मैथिलीशरण गुप्त ने दया और करुणा के भाव को सर्वोपरि बताया है। मैं तो यह भी मानती हूँ कि ‘कर चले हम फिदा’ कविता में भी जो सैनिक अंतिम सांस तक देश के लिए लड़ता है, वह भले ही हमसे अपने देश की रक्षा करने की अपेक्षा कर रहा है, किंतु वह कभी नहीं चाहेगा कि हम इंसानियत को कुचल कर देश की रक्षा करते हुए किसी को हानि पहुँचाएँ। अत: राहुल का यह कार्य सराहनीय है और किसी भी दृष्टि से इसे गलत नहीं कहा जा सकता।
अथवा
(ख) उपरोक्त उदाहरण में पूनम की जो स्थिति दिखाई गई है, वह बहुत ही आम समस्या बन चुकी है। लगभग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी मानसिक तनाव से गुजर रहा है। इसका बहुत बड़ा कारण तो यह है कि आज हर कोई अपने अपने जीवन में व्यस्त है। एक दूसरे से बात करने, सलाह करने का समय किसी के पास भी नहीं है। ऐसे में तनाव ग्रस्त होकर मानसिक रूप से रोगी हो जाना स्वाभाविक है। पूनम की सहेली ने उसे ध्यान लगाने की जो सलाह दी, वह बहुत अच्छी थी। पूनम ने प्रयास भी किया किंतु असफल होने पर प्रयास छोड़ देना पूनम की भूल थी। ध्यान लगाने की विभिन्न प्रक्रियाएँ हमारे देश में मौजूद हैं, हमें जिस प्रक्रिया से ध्यान लगाने में मदद मिले, उसका अनुसरण कर सकते हैं। यदि कोई भी प्रक्रिया न समझ में आए, तो हम अपने आप ही अपने दिमाग को धीरे-धीरे शांत अवस्था में ले जाने का प्रयास कर सकते हैं। जैसा कि झेन की देन पाठ में बताया गया है। यदि हम एक शांत वातावरण में बैठकर केवल अपने विचारों पर ध्यान दें तो हम पाएंगे कि अधिकांश समय हम अतीत या भविष्य में व्यतीत कर रहे हैं। वे दोनों काल मिथ्या है अतः उनकी सोच छोड़कर यदि हम वर्तमान को महसूस कर लें और उसमें जीना शुरू कर दें तो समझ लीजिए कि हमें तनाव मुक्त रहने का साधन मिल गया है।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ठाकुरबारी के सम्बन्ध में लेखक के विचार गाँव वालों से किस प्रकार भिन्न थे?
उत्तरः
(क) ‘हरिहर काका’ पाठ के मुख्य पात्र ‘हरिहर’ भोले-भाले किसान थे। गाँव की ठाकुरबारी में उनका काफी आना-जाना था। वहाँ के महन्त व अन्य सदस्य हरिहर का काफी आदर करते थे व हरिहर को भी उन पर अटूट विश्वास था। गाँव के अधिकांश लोग ठाकुरबारी के प्रति अत्यधिक श्रद्धा भाव रखते थे, किन्तु लेखक के विचार उन सबसे भिन्न थे। लेखक का मानना था कि गाँव के चाटुकार व कामचोर लोग ठाकुरबारी में जाकर समय बर्बाद करते हैं और धर्म-चर्चा के नाम पर पूजा-पाठ की आड़ में बढ़िया पकवान खाते हैं, लोगों को लूटते हैं। लेखक को वहाँ के पुजारी व महन्त एक आँख भी नहीं भाते थे। वास्तव में लेखक का अविश्वास ही सही साबित हुआ। महन्त ने अन्य लोगों के साथ मिलकर हरिहर की ज़मीन छीनने का जो दुस्साहस किया, उससे ठाकुरबारी के प्रति सभी लोगों की श्रद्धा टूट गयी। निश्छल व सदाचारी होना चाहिए, यही सबसे बड़ा धर्म व धार्मिक कृत्य है।
(ख) टोपी शुक्ला को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था? शिक्षा प्रणाली में किस प्रकार के परिवर्तन लाए जाएँ कि छात्रों को यह सब न सहना पड़े?
उत्तरः
‘टोपी शुक्ला’ पाठ दो ऐसे दोस्तों की कहानी है जो सर्वथा भिन्न वातावरण में पले हैं। दोनों की परवरिश अलग-अलग रीति से हुई है व दोनों ने पर्याप्त भिन्न-भिन्न परम्परायें देखी हैं। इतनी असमानतायें होते हुए भी दोनों घनिष्ठ मित्र बने। इफ्फन मुस्लिम परिवार से था व टोपी हिन्दू परिवार से। इफ्फन के घर टोपी का बहुत आना-जाना था। दोनों अपने मन की सारी बातें केवल एक-दूसरे को ही बताते थे। संयोगवश इफ्फन के पिता का तबादला हो गया और टोपी अकेला रह गया। अब तो वह बिल्कुल उदास रहने लगा। इस अकेलेपन की उदासी का प्रभाव पढ़ाई पर पड़ा और वह लगातार दो बार फेल हो गया। कक्षा में सभी बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते, अध्यापक भी उसका उदाहरण दे-देकर सबको पढ़ाई में ध्यान देने को कहते और वह शर्म से लाल हो जाता था। घर और विद्यालय, दोनों जगह उसे अपमानजनक भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। किसी छात्र को ऐसी स्थिति से न गुजरना पड़े, इसके लिए आवश्यक है कि छात्रों के स्वाभाविक रुझान को देखते हुए उन्हें आगे बढ़ने के अवसर दिये जायें। विशेष रूप से अध्यापकों को तो छात्रों के मनोविज्ञान को समझते हुए उनसे आत्मीयतापूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
(ग) नई श्रेणी में जाने, नई कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बाल मन क्यों उदास हो जाता था?
उत्तरः
लेखक की पढ़ाई में विशेष रुचि नहीं थी और न ही उनके परिवार के लोग पढ़ाई का महत्व समझते थे। इसलिए लेखक और उनके अधिकांश साथी उदास मन से ही विदप्रत्यक्ष कर के दिखा देते थे। अगली कक्षा में आने की खुशी उतनी नहीं हो पाती थी जितना इस बात का डर होता था कि अध्यापकों की उनसे अपेक्षाएँ बढ़ जाएँगी। नई कक्षा में नए अध्यापकों का स्वभाव न जाने कैसा होगा। यह सब बातें लेखक के मन को उदास कर दिया करती थीं और अगली कक्षा में आने की खुशी कहीं नीचे दब जाती थी।
खंड ‘ख’ : लेख
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) भारत की बदलती तस्वीर
- प्राचीन भारत
- विशेषताएँ
- कमियाँ
- बदलता स्वरूप।
उत्तरः
भारत की बदलती तस्वीर: एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। अनेकता में एकता हमारी पहचान थी। प्राकृतिक सम्पदा की दृष्टि से यह धनी था। यहाँ की संस्कृति, सभ्यता व मानवीय मूल्यों से सम्पूर्ण विश्व परिचित है। किन्तु समय के साथ-साथ भारत अपनी इस विरासत से दूर होता गया। अंग्रेजों की गुलामी ने हमें कमज़ोर कर दिया, किन्तु एक होकर हमने स्वतन्त्रता हासिल की। अंग्रेजों से तो आज़ाद हो गये, किन्तु आपसी बैर-भाव ने हमें खोखला कर दिया। अन्धाधुन्ध बढ़ती इच्छाओं व आवश्यकताओं के चलते प्रकृति का विनाश कर डाला। परिणामस्वरूप आज हमारा भारत पर्यावरण सम्बन्धी आपदाओं से, आतंकवाद से, भ्रष्टाचार आदि अनेक ऐसी समस्याओं से जूझ रहा है जो दिन-पर-दिन इसे कमजोर बना रही हैं। एक ओर विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हम तरक्की कर रहे हैं, किन्तु जब तक जनसंख्या व अपनी छोटी सोच पर नियन्त्रण नहीं रखेंगे, तब तक भारत की तस्वीर को सुन्दर नहीं बना पायेंगे। अतः आवश्यकता है फिर से एक होकर समाज व देश-हित में कार्य करें, क्योंकि उसी में हम सबका हित भी निहित है।
अथवा
(ख) संतोष : सबसे बड़ा धन
- प्राचीन भारत
- धन की सीमाएँ
- प्रसन्नता का आधार।
उत्तरः
सन्तोष: सबसे बड़ा धन
मनुष्य जीवन भर कार्यरत रहता है, प्रयत्नशील रहता है और शान्ति व सुख को पाने का प्रयत्न करता रहता है। सामान्य धारणा यह है कि अधिक धन कमाकर हम अपने जीवन को अधिक सुखमय व स्वयं को अधिक प्रसन्न बना सकते हैं, किन्तु यह सच नहीं है। धन हमें आराम दे सकता है, सुख दे सकता है, किन्तु वह सुख स्थायी नहीं होता। यदि हम मन से सन्तोष का अनुभव करना सीख लें तो ऐसी वस्तुओं के अभाव में भी खुश रह सकते हैं जो हमें धन से प्राप्त होती हैं। जब हम सन्तुष्ट होना सीख जाते हैं तो अभाव में भी भरमार महसूस कर सकते हैं, अन्यथा अपार वैभव, सुख के भौतिक साधन भी हमें सुख व शान्ति नहीं दे सकते। अत: ठीक ही कहा गया है कि ‘जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूरि समान’ अर्थात् एक बार सन्तोष रूपी धन हाथ लग जाए तो उसके सामने अन्य सब प्रकार के धन या वैभव फीके या धूल के समान व्यर्थ लगने लगते हैं।
अथवा
(ग) नर हो न निराश करो मन को
- सूक्ति का अर्थ
- मनुष्य जीवन का महत्व
- सफल बनाने के उपाय।
उत्तरः
नर हो न निराश करो मन को
हिंदी साहित्य के महान कवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘नर हो न निराश करो मन को’ की यह पंक्ति मनुष्य को जीना सिखाने के लिए पर्याप्त है। इस एक पंक्ति में यह सार छिपा है कि मनुष्य जीवन अनमोल है, यह हार मानकर, निराश होकर व्यर्थ गँवाने के लिए नहीं है। यदि हम अपने मानव होने को समर्थ करना चाहते हैं तो हमें निराशावादी विचारों से दूर रहना होगा। निराशा का भाव हमारी योग्यता, हमारे कौशल व हमारे बल को कमज़ोर बना देता है। मनुष्य होने के नाते हमें अपने जीवन के महान उद्देश्यों को समझना चाहिए, लक्ष्य निर्धारित करके चलना चाहिए व राह में आने वाली विघ्न-बाधाओं को ठोकर मारकर आगे बढ़ते जाना चाहिए और यह तभी सम्भव होगा जब हम निराशा से दूर रहेंगे। स्वयं पर विश्वास रखें, आशावादी बने रहकर प्रयत्न करते रहें तो कोई ऐसी मंज़िल नहीं, जहाँ हम नहीं पहुँच सकते, कोई ऐसा पर्वत नहीं जिसे लाँघ नहीं सकते। अतः इस पंक्ति को सदैव याद रखें व मनुष्य होना सिद्ध करें।
प्रश्न 5.
बिजली संकट से ग्रस्त नगरवासियों की शिकायत बिजली विभाग के अध्यक्ष तक पहुँचाने हेतु 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
विद्यालय की प्रधानाचार्या को पुस्तकालय में पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध करवाने के लिए 120 शब्दों में प्रार्थना-पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक…………………..
अध्यक्ष महोदय,
विकासपुरी बिजली विभाग,
नई दिल्ली………………….
विषय-बिजली संकट की शिकायत।
आदरणीय महोदय,
मैं दिल्ली के विकासपुरी क्षेत्र का निवासी हूँ तथा अपने क्षेत्र का सचिव होने के नाते सभी निवासियों को बिजली संकट से होने वाली परेशानियों से आपको परिचित कराना चाहता हूँ।
महोदय, हमारे क्षेत्र में गत दो माह से बिजली की आपूर्ति बहुत ही कम है। घर के छोटे-बड़े सभी काम आजकल बिजली के उपकरणों की मदद से होते हैं, तो आप समझ सकते हैं कि बिजली न होने से दैनिक कार्यों में कितनी रुकावट व परेशानी हो रही होगी।
आपसे अनुरोध है कि आप जल्द ही बिजली आपूर्ति को सामान्य करने के लिए उचित कदम उठायें।
धन्यवाद।
भवदीय,
क ख ग
अथवा
प्रधानाचार्या महोदय,
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली 110018
विषय-पुस्तकालय में पुस्तकों का अभाव।
आदरणीय महोदया, मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं की छात्रा आपसे विनती करना चाहती हूँ कि विद्यालय के पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध करायें। यह खुशी की बात है कि हमारे विद्यालय में छात्रों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है, किन्तु उस अनुपात में पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या में कोई सुधार नहीं आया है। जब कभी हमें साहित्य पढ़ने की इच्छा होती है तो वहाँ नई साहित्यिक पुस्तकें नहीं मिलतीं, परीक्षा के दिनों में पाठ्यक्रम से सम्बन्धित सहायक पुस्तकें सबको नहीं मिल पातीं, ऐसे में मुझ जैसे साधारण परिवार के छात्र अच्छी तैयारी नहीं कर पाते व इसका प्रभाव हमारे व विद्यालय के परीक्षा परिणाम पर पड़ता है।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि शीघ्रातिशीघ्र पर्याप्त मात्रा में पुस्तकों के नवीन संस्करण उपलब्ध करायें। हम सभी छात्र/छात्रा आपके आभारी होंगे।
धन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारी छात्रा,
क ख ग
दिनांक………….
प्रश्न 6.
(क) गतिविधि अधिकारी की ओर से 50 शब्दों में सूचना लिखिए कि विद्यालय के सभा सदन में अन्तिम दो कालांशों में हिंदी व अंग्रेजी की कविता प्रतियोगिता होगी।
अथवा
‘आश्रय’ सोसायटी के सचिव होने के नाते पानी की कटौती के लिए 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
उत्तरः
रामकृष्ण विद्यालय:
सूचना
दिनांक……………..
कविता प्रतियोगिता का आयोजन
आगामी सप्ताह दिनांक 25 मई को विद्यालय के सभा सदन में हिंदी व अंग्रेजी की कविता पाठ प्रतियोगिता होगी। अधिक जानकारी के लिए अपनी हिंदी अथवा अंग्रेजी की अध्यापिका से सम्पर्क करें व 18 मई तक कविता के विषय के साथ अपना नामांकन करा लें।
धन्यवाद।
सचिन चौहान
गतिविधि अधिकारी
अथवा
आश्रय सोसायटी
सूचना
दिनांक………………
जल संकट की तैयारी
हर बार की तरह गर्मी के मौसम में होने वाली जल आपूर्ति की कमी के कारण सभी ‘आश्रय’ वासियों से अनुरोध है कि पानी को व्यर्थ न जाने दें। न्यूनतम मात्रा | में जल का उपयोग करें व मिल-जुलकर इस संकट से निपटने के लिए तैयार रहें।
धन्यवाद।
के. पी. मिश्रा
सचिव
(ख) भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से लगभग 50 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए जिसके माध्यम से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शीर्षक पर 200 शब्दों में निबंध लिखने की प्रतियोगिता की जानकारी देनी है।
अथवा
विद्यालय में हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कक्षा छठी से दसवीं तक के लिए आयोजित होने वाली है। इस संबंध में हिंदी साहित्यिक विभाग की अध्यक्ष चित्रा बंसल की ओर से लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय:
सूचना
दिनांक………………………
निबंध लेखन प्रतियोगिता
साक्षरता प्रत्येक व्यक्ति का है अधिकार।
पढ़ेंगे और पढ़ाएंगे करना है इसका प्रसार ॥
शिक्षा के प्रति, विशेष रूप से बेटियों को बचाने और पढ़ाने के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
एक महिला शिक्षित-तो पूरे दो परिवार शिक्षित।
इसी विषय में अपने विचार व्यक्त करने का सुनहरा अवसर.. निबंध लेखन प्रतियोगिता-
12 से 18 वर्ष – 19 से 30 वर्ष
दिनांक 20 फरवरी 2022
नामांकन की अंतिम तिथि : 10 फरवरी
पुरस्कार राशि : प्रथम पुरस्कार ₹ 2000/
द्वितीय पुरस्कार ₹ 1500/
तृतीय पुरस्कार ₹ 1000/
पाँच प्रोत्साहन पुरस्कार ₹ 500-500/
निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग लें अपने देश को अग्रसर करने में समर्थन दें
धन्यवाद
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार
अथवा
क ख ग विद्यालय:
सूचना दिनांक……………..
हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
कक्षा छठी से दसवीं तक के छात्रों के लिए खुशखबरी विद्यालय में हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है।
विवरण इस प्रकार है-
दिनांक 26 फरवरी, 2022
स्थान : पुस्तकालय
समय : कक्षा छठी, सातवीं प्रातः 10:00 से 11
कक्षा नौवीं दसवीं प्रातः 10:00 से 12
विषय : ज्वलंत विषय, हिंदी साहित्य, भारतीय महापुरुष, भारतीय संस्कृति।
नामांकन की अंतिम तिथि : 15 फरवरी
अधिक जानकारी के लिए हस्ताक्षरकर्ता से संपर्क करें।
साहित्य विभागाध्यक्ष
चित्रा बंसल
प्रश्न 7.
(क) बच्चों के कपड़ों की नई दुकान के लिए लगभग 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप विज्ञान विषय में स्नातक हैं। नौकरी पाने के लिए लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
बचपन
हर उम्र के बच्चों के लिए,
नये से नये डिजाइन व फैशन में।
कपड़े ही कपड़े
आइए, आजमाइए, ले जाइए………
तिलक नगर बाजार-दुकान नं. B-12
दूरभाष-91918080
जल्दी कीजिए, मौका हाथ से निकल न जाए….
अथवा
नौकरी की तलाश:
मैं सुशील कुमार, उम्र 26 वर्ष, विज्ञान विषय में स्नातक हूँ। सम्पूर्ण शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की है। अंग्रेजी भाषा व कम्प्यूटर का अच्छा ज्ञान है। उचित पद होने पर कृपया सूचित करें। दूरभाष-2010478998
(ख) महिलाओं की मासिक पत्रिका के प्रचार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन, तैयार कीजिए।
अथवा
पुस्तकें पढ़ने के लिए बच्चों को प्रेरित करने हेतु लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
महिलाओं की मासिक पत्रिका:
गृहलक्ष्मी
नए नए स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सीखें और सिखाएँ,
गृहलक्ष्मी को अपनी सहेली बनाएं
घर के काम सलीके से कैसे करें?
इसका हुनर सीखें
मासिक पत्रिका गृह लक्ष्मी को अपनी समस्या बताएँ और अगले माह की अंक में उसका समाधान मुफ्त में पाएँ।
मासिक पत्रिका की कीमत ₹ 50
वार्षिक सदस्यता ₹ 800
जल्दी कीजिए अवसर हाथ से जाने न पाए।
अथवा
प्रश्न 8.
दिए गए प्रस्थान बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
- बाल मजदूरी
- पढ़ाई
- मुक्ति
अथवा
- दी गई पंक्तियों को पूरा करते हुए लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए।
- अपने श्याम रंग को लेकर वह सदैव सकुचाया सा रहता था। एक रोज…
उत्तरः
बाल मजदूरी:
राहुल अक्सर अपने घर की बालकनी में खड़े होकर सामने वाले घर की ओर देखा करता था, जहाँ एक 10-12 साल का लड़का भाग-भाग कर घर के सारे काम करता था। कहाँ राहुल तो खाना भी कभी-कभी अपनी माँ के हाथ से खाता था। एक दिन उसने अपने दादाजी से पूछा दादाजी क्या वह थकता नहीं है क्या उसे सर्दी-गर्मी नहीं लगती, क्या उसे खेलने पढ़ने का मन नहीं करता? दादा जी समझ गए कि उसके मन में क्या चल रहा है? उन्होंने उसे प्यार से समझाया कि बेटा हो सकता है कि उसके परिवार वालों की कोई मजबूरी रही हो जिसके कारण उसे काम करना पड़ रहा है। राहुल बोला “दादा जी, क्या हम उसकी मदद नहीं कर सकते?” दादाजी सोच में पड़ गए।
अगले ही दिन सामने वाले शर्मा जी के घर गए। उन्हें सारी बात बताई। शर्मा जी और राहुल के दादाजी ने मिलकर मोहन को स्कूल में दाखिल कराया, मिलकर उसकी पढ़ाई का खर्चा उठाने की बात तय हुई। अब वह घर के काम के साथ-साथ खेलने और पढ़ने भी लगा।
राहुल जिसे दूर से देखकर दुखी होता रहता था, अब साथ कुछ देर खेलता और पढ़ाई भी कराता। ऐसा करके उसे असीम सुख मिलता था और राहुल ने भी मानो मुक्ति की सांस ली थी।
अथवा
असली पहचान
रचित बहुत दिनों से देख रहा था कि केशव जब से कक्षा में आया है तब से चुप-चुप रहता है। कक्षा के छात्र उसकी ओर ध्यान नहीं देते और उसका मजाक उड़ाते हैं। रचित ने सारी बात अध्यापिका को बताई। अगले दिन वह कक्षा में सभी बच्चों के लिए कुछ उपहार लेकर आई। कुछ सुंदर तो कुछ बेरंगे कागजों में लिपटे हुए थे। वह बोली “बच्चों, आज हम पढ़ाई नहीं करेंगे बल्कि आज मैं तुम सब के लिए कुछ उपहार लाई हूँ।” उन्होंने एक-एक करके बच्चों को अपने पास बुलाया और अपनी मर्जी से उठाने को कहा। अधिकतर बच्चों ने वह उपहार उठाया जिन पर सुंदर कवर चढ़ा हुआ था। आखिरी बच्चों को बेरंगे दिखने वाले उपहार उठाने पड़े। अध्यापिका ने सभी से पूछा कि उन्हें अपने उपहार कैसे लगे। जो सुंदर और आकर्षक दिख रहे थे उनके अंदर व्यर्थ चीजें निकलीं जबकि बेरंगी दिखने वाले उपहार बड़े काम के थे। बच्चों की मानसिकता समझते हुए अध्यापिका ने बताया कि इस बात से यह सीख मिलती है कि किसी भी वस्तु या व्यक्ति की पहचान उसके रूप रंग से नहीं बल्कि स्वभाव से करनी चाहिए। कहा भी गया है कि किसी किताब को उसके कवर से नहीं परखना चाहिए।
सभी बच्चे शायद अपनी गलती समझ गए और अगले ही दिन से रचित ने देखा कि सब केशव से घुलमिल कर अच्छी तरह से बातचीत कर रहे हैं। रचित यह देखकर हैरान था कि अध्यापिका ने कितनी सूझबूझ से असली पहचान करनी सिखा दी।