Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 4 with Solutions
निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
- प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।
खंड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) कविता पर्वत प्रदेश में पावस के आधार पर झरनों के सौंदर्य को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ एक प्रकृति प्रेमी कवि हैं। कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के अंतर्गत उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र के परिवर्तित हो रहे दृश्य का सजीव वर्णन किया है। झरनों के सौंदर्य का वर्णन करते हुए वे कहते हैं कि बहते हुए झरनों की आवाज ऐसी लगती है मानो वे पर्वतों की प्रशंसा के गीत गाते हुए बह रहे हों। ऊपर से गिरने के कारण झरनों के पानी में जो झाग बनता है, उसके कारण वे मोती की लड़ियों के समान सुंदर दिखते हैं, जो पुरे पर्वतीय क्षेत्र के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। इस प्रकार कवि ने झरनों की मधुर आवाज और उनके श्वेत रंग में अद्भुत सौंदर्य महसूस किया है।
(ख) लेफ्टिनेंट को ऐसा क्यों लगा कि पूरे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ एक लहर दौड़ गई है?
उत्तरः
लेफ्टिनेंट को महसूस हो गया था कि पूरे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ लहर दौड़ गई है। वज़ीर अली ने अफगानिस्तान को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रित किया था। इससे पहले भी यह काम शमसुद्दौला द्वारा किया जा चुका था। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो अन्य देशों के साथ मिलकर भारतीय देशभक्त अपनी ताकत को बढ़ा लेंगे और जल्दी ही भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्त करा देंगे।
(ग) कवि ‘कैफी आज़मी’ ने धरती को दुल्हन क्यों कहा है?
उत्तरः
कविता ‘कर चले हम फिदा’ के अन्तर्गत कवि कैफ़ी आज़मी ने सैनिक की भावनाओं को शब्द दिए हैं। सैनिक जब धरती की रक्षा करते हुए उसे अपने खून से रंग देते हैं, तब धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन-सी प्रतीत होती है। जिस प्रकार अपनी दुल्हन की रक्षा के लिए युवक प्रण लेता है और उसे निभाता है, उसी प्रकार सैनिक अपनी धरती की रक्षा करने के लिए वचनबद्ध है, जो उसके खून से रंगकर दुल्हन-सी प्रतीत हो रही है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) कुछ दिन से सृष्टि बहुत उदास रहने लगी थी। जैसी नौकरी उसने चाही थी, उसे मिल गई। वेतन भी ठीक-ठाक था। पर कहीं न कहीं मन में अतृप्ति का एहसास था। उसने घर के पास ही एक वृद्ध आश्रम में जाकर बुजुर्गों की सेवा शुरू की। उसमें उसे जो तृप्ति मिली वैसे पहले कभी महसूस नहीं की थी। अब तो दफ्तर से सीधा वही पहुँचती। न खाने का होश न आराम का। परिणाम यह हुआ कि वह खुद बीमार हो गई, उसकी देखभाल कौन करता। बेहतर होता कि वह परोपकार करने के साथ-साथ स्वयं का भी ध्यान रखती। मनुष्यता कविता में परोपकार, दया, करुणा का संदेश दिया गया। क्या सृष्टि उस पर ठीक से अमल कर रही है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तरः
‘मनुष्यता’ कविता के अंतर्गत कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति आदि मानवीय गुणों को अपनाने पर जोर दिया है। उनका मानना है कि जिस व्यक्ति में यह मानवीय गुण होते हैं, वही मनुष्य कहलाने के योग्य होता है।
उपरोक्त उदाहरण में सृष्टि वृद्ध आश्रम में जाकर बुजुर्गों की सेवा कर रही है और उससे उसे असीम तृप्ति भी मिल रही है, किंतु अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। यदि मनुष्यता कविता में सबकी मदद करने के लिए कहा गया है तो उन सब में हम भी आते हैं। यदि हम अपनी ओर ध्यान नहीं देंगे, खुद को स्वस्थ नहीं रख पाएंगे तो दूसरों का ख्याल कैसे रखेंगे। एक बीमार व्यक्ति दूसरे की बीमारी को दूर नहीं कर सकता, एक रोता हुआ व्यक्ति दूसरे को नहीं हंसा सकता। अत: मनुष्यता कविता के संदेश को पूरी तरह समझना जरूरी है। हम दूसरों से अलग नहीं हैं। दूसरों का ख्याल रखने, दूसरों का हित करने का अर्थ यह है कि अपने साथ-साथ सबका हित करें। यदि सृष्टि इस बात को समझ लेती है तो कह सकते हैं कि उसने मनुष्यता कविता के संदेश पर पूरी तरह से अमल कर लिया है।
अथवा
अथवा
(ख) रीना पिछले 20 साल से एक विद्यालय में अध्यापन कार्य कर रही थी। इस दौरान उसने अपने बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया, घर को भी संभाला और घर के बड़े बुजुर्गों को भी। दौड़ते भागते बरसों बीत गए, अब उससे इतनी भागदौड़ नहीं हो पाती है। इसलिए उसने घर पर मदद के लिए एक लड़की को रखा हुआ है। शरीर से तो आराम मिल गया, किंतु मानसिक तनाव बढ़ने लगा है। जब भी वह खाली होती है कुछ न कुछ विचार मन में चलते रहते हैं। करे तो क्या करे! शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन कैसे बनाया जाए? क्या रीना की इस समस्या का हल झेन की देन पाठ से मिल सकता है? पाठ के आधार पर अपनी राय दीजिए।
उत्तरः
हम अपने शरीर से जितना काम लेते रहेंगे उतना ही वह चुस्त तंदुरुस्त रहेगा। किंतु एक उम्र के बाद शरीर में भी इतनी ताकत नहीं रह जाती और हम पहले की तरह भागदौड़ नहीं कर पाते। तो ऐसे समय में किसी की मदद लेने में कोई बुराई नहीं है। ध्यान रहे; हमें पूरी तरह से किसी पर निर्भर नहीं होना है बस थोड़ी मदद लेनी है, ताकि सभी काम सुचारु रूप से चल सकें। उपरोक्त उदाहरण में रीना ने भी ऐसा ही किया किंत शायद शरीर के काम बहुत कम हो जाने के कारण वह खाली रहने लगी और खाली समय में विचारों की उथल-पुथल उसे परेशान करने लगी। यह ठीक नहीं है। यदि हमें समय मिला है तो उसमें हम अपना कोई रुचि का कार्य कर सकते हैं, पुस्तकें पढ़ सकते हैं, सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सकते हैं। पाठ ‘झेन की देन’ से मिला संदेश निश्चित ही रीना की मदद कर सकता है। जैसा कि पाठ में बताया गया कि वर्तमान ही एकमात्र सत्य है। अतः रीना को चाहिए कि जो आज उसके पास है उसका आनंद ले, अतीत से खे और भविष्य की योजनाएँ बनाए किंतु उन्हें खुद पर हावी न होने दें।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर बताइए कि हमारे समाज में रिश्तों का क्या महत्व है?
उत्तरः
भारत एक ऐसा देश है जहाँ सदा से मानवीय सम्बन्धों को, पारिवारिक सम्बन्धों को, संस्कारों व संस्कृति को सर्वोपरि माना गया है। संयुक्त परिवार व्यवस्था भी यहाँ सदा से ही प्रचलन में रही है, किन्तु अत्यधिक आधुनिकीकरण व भौतिकवादी मानसिकता ने वातावरण को बहुत बदल दिया है। मानवीय मूल्यों का स्थान स्वार्थ, लालच, छल-कपट ने ले लिया है। रिश्ते कमज़ोर पड़ने लगे व स्वार्थ उन पर हावी होता गया है। पाठ ‘हरिहर काका’ में हरिहर की व्यथा हमारे समाज के हर चौथे वृद्ध की व्यथा है। प्रेम, भाईचारा केवल किताबी बातें रह गयी हैं। जब तक अपना मतलब निकलता है, तभी तक लोग एक-दूसरे से सम्बन्ध रखते हैं, स्वार्थ सधते ही दूध में से मक्खी की तरह दूर कर देते हैं। पिछले कई दशकों से यही स्थिति बनी हुई है, जिसका प्रभाव समाज में बढ़ते अपराधों व असुरक्षा के रूप में सामने आ रहा है। मेरा मानना है कि धन कम भी हो तो खुश रहा जा सकता है, किन्तु रिश्ते मधुर न हों या दोस्तों से सम्बन्धों में मधुरता न हो तो जीवन बोझ लगने लगता है।
(ख) इफ्फन की दादी का मन पीहर जाने को क्यों मचलता रहता था?
उत्तरः
इफ्फन की दादी पूरब की रहने वाली थी। एक ज़मींदार परिवार में, दूध-दही-घी खाते हुए उनका बचपन बीता था। केवल दस बरस की थीं जब ब्याह कर लखनऊ आ गई थीं। ससुराल का वातावरण, रहन-सहन बिल्कुल विपरीत था। जहाँ मायके में किसी भी अवसर पर खूब गाना-बजाना होता था, इधर ससुराल में उसे बुरा समझा जाता था। इस मौलवी परिवार में वह दूध-घी को भी तरस गई। यहाँ तक कि इफ्फन के जन्म के अवसर पर भी वह गाने-बजाने का शौक पूरा नहीं कर सकी। उसे अपने गाँव का बीजू पेड़, खुला वातावरण बहुत याद आता था और उसका जी वहीं जाने के लिए तरसता रहता था।
(ग) लेखक ग्रीष्मावकाश कार्य के लिए क्या योजनाएँ बनाया करते थे? आप अपना ग्रीष्मावकाश कार्य किस प्रकार करते हैं?
उत्तरः
लेखक जब छोटे थे, उनका पढ़ने में मन बिल्कुल नहीं लगता था। जब ग्रीष्मावकाश होता तो शुरू के कुछ दिन तो खेलने कूदने में बीत जाते। फिर योजना बनानी शुरू करते कि रोज कितना काम करेंगे और कितने दिन में खत्म हो जाएगा। ग्रीष्मावकाश खत्म हो जाता किंतु उनका कार्य पूरा नहीं हो पाता था। तब भी छात्रों के नेता ओमा से प्रोत्साहित होते थे जो काम करने से अधिक सस्ता सौदा अध्यापकों की डांट या मार खाने को समझता था। मैं अपना ग्रीष्मावकाश कार्य बहुत मन से करती हूँ क्योंकि वह बहुत कुछ सिखाता है और ग्रीष्म अवकाश का समय भी कार्य करते हुए बहुत ही मनोरंजक और ज्ञानवर्धक बन जाता है।
खंड ‘ख’: लेखन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) समय अमूल्य धन है
- समय का महत्व
- दुरुपयोग से हानियाँ
- सदुपयोग से लाभ व उपाय।
उत्तरः
समय अमूल्य धन है
अपना कीमती समय लगाकर हम धन तो कमा सकते हैं, किन्तु कितना ही धन लगा दें, बीता हुआ समय पुनः वापस नहीं कमा सकते। अतः यह कथन सर्वथा सत्य है कि समय अमूल्य धन है। यह मुट्ठी में रेत की भाँति होता है जो निकलता चला जाता है। एक-एक पल जो हमें मिल रहा है, यदि हम उसका सही इस्तेमाल कर लें तो हमें जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। विश्व में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन्होंने समय का सदुपयोग करके ही सफलता प्राप्त की, अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। जो व्यक्ति समय को बर्बाद करता है, समय उसे बर्बाद कर देता है। इस बात में गहरी सीख है कि ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब’ यानि काम को आलस्यवश कल पर कभी नहीं टालना चाहिए। सही वक्त पर किये गये कार्य का ही मोल होता है वरना का बरखा जब कृषि सुखाने’ अर्थात् समय हाथ से निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता। याद रखिए समय व लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। अतः जो समय रूपी लहर आपके सामने है, उसमें गहरे डूब जाइए, तभी अनमोल खज़ाना हाथ लगेगा।
अथवा
(ख) मेरा जीवन लक्ष्य
- लक्ष्य निर्धारण की आवश्यकता
- आदर्श या लक्ष्य पर एकाग्रता
- लक्ष्य प्राप्ति के उपाय।
उत्तरः
मेरा जीवन लक्ष्य
धरती पर जितने भी जड़-चेतन हैं, उनके जीवन का, उनके होने का कोई निश्चित उद्देश्य है। फिर मानव जीवन तो अनमोल है, उसका कोई महान उद्देश्य अवश्य होता है और जितना जल्दी हम अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, उतना ही अपने उद्देश्य को पूर्ण करने की सम्भावना बढ़ जाती है। लक्ष्यविहीन व्यक्ति का जीवन मँझधार में भटकती उस नाव की भाँति होता है, जो कभी अपनी मंज़िल पर नहीं पहुँच पाती। अतः अपनी योग्यताओं व रुचि के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करके एक निश्चित दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए, तब स्वत: मार्ग खुलते जाते हैं। मैंने जान लिया है कि मुझमें लेखन व पठन की अद्भुत क्षमता व कौशल है, इसलिए एक लेखक व कवि के रूप में समाज, देश व दुनिया को सत्य से परिचित कराना, सबका उचित मार्गदर्शन करना व सृष्टि को सुन्दर व स्वस्थ बनाने के विचारों को विस्तृत करना ही मैंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। इसके लिए मैं विभिन्न लेखकों, कवियों की रचनाओं को, महापुरुषों की जीवनियों व आत्मकथाओं को पढ़ता रहता हूँ व साथ ही लेखों, कहानियों व कविताओं के माध्यम से अपने भावों व विचारों को प्रकट करता रहता हूँ। मुझे विश्वास है कि मैं जल्दी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करता हुआ आगे बदूंगा।
अथवा
(ग) भारतीय नारी
- प्राचीन भारत में नारी की स्थिति
- बदलती तस्वीर
- आदर्श स्थिति।
उत्तरः
भारतीय नारी
भारत का अतीत नारी को देवी, लक्ष्मी, जननी आदि रूपों में पूजता नजर आता है। हिंदी साहित्य के अनेक महान कवियों ने नारी की प्रशंसा में, सम्मान में बहुत कुछ लिखा है। प्रसाद जी ने कहा-‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो।’ मनुस्मृति में तो यहाँ तक लिखा है-‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ यानि जहाँ नारी का सम्मान होता है वहीं देवता निवास करते हैं। किन्तु धीरे-धीरे स्थिति बदलती गयी। आज हम भारत के समाज को ‘पुरुष-प्रधान समाज’ नाम देते हैं, क्योंकि कई दशकों से यहाँ नारी का मानसिक व शारीरिक शोषण होता आया है। एक समय तो ऐसा आया था कि उसे ‘पैरों की जूती’ तक कहा गया। नारी से जुड़ी कई कुप्रथायें प्रचलित हुईं, किन्तु आज स्थिति में काफी सुधार है। महिलाओं को समान अधिकार दिये जा रहे हैं, कन्या के जन्म व शिक्षा को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। आज नारी अपने पैरों पर खड़ी है, अपने निर्णय स्वयं ले सकती है। हर क्षेत्र में सफल हो रही है। इतना कुछ होते हुए भी महिलाओं के साथ होने वाले कुकर्म कम नहीं हो रहे, यह एक चिन्ता का विषय है। इस समस्या का निवारण भी केवल महिलाओं के ही हाथ में है। उन्हें अपनी शक्ति को पहचानना होगा व उचित स्थान व समय पर उस शक्ति का सदुपयोग करके अपने साहस का परिचय देना होगा ताकि उसके साथ होने वाला अधर्म इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाए।
प्रश्न 5.
नगर निगम अधिकारी को 120 शब्दों में अपने क्षेत्र की सड़कों की दुरावस्था से परिचित कराने के लिए पत्र लिखिए।
अथवा
अपने विद्यालय की प्रधानाचार्या को 120 शब्दों में पत्र लिखकर अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की प्रार्थना कीजिए।
उत्तरः
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक…..
नगर निगम अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम,
नई दिल्ली ……….
विषय-सड़कों की दुरावस्था का विवरण।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं विकासपुरी क्षेत्र की एक जिम्मेदार नागरिक आपको अपने क्षेत्र की सड़कों की दुरावस्था से व उससे होने वाली परेशानियों से अवगत कराना चाहती हूँ।
महोदय, हमारे क्षेत्र की सड़कें जगह-जगह से टूट चुकी हैं, कहीं-कहीं तो गहरे गड्ढे बन गये हैं जो कि हर समय दुर्घटनाओं को बुलावा देते नज़र आते हैं। वाहन तो क्या, वहाँ पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है। यदि आप एक बार इस क्षेत्र का दौरा करके स्वयं यहाँ का हाल देख लें, तो आप हमारी परेशानियों का अन्दाजा स्वयं लगा सकेंगे।
मुझे आशा है कि आप जल्द ही सड़कों की मरम्मत का काम शुरू करवायेंगे ताकि मानसून आने से पहले यह समस्या सुलझ सके।
धन्यवाद।
भवदीया,
क ख ग
अथवा
प्रधानाचार्या महोदया,
रामकृष्ण विद्यालय,
विकासपुरी, नई दिल्ली।
विषय-अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं के आयोजन का अनुरोध।
आदरणीय महोदया,
मैं आपके प्रतिष्ठित विद्यालय की कक्षा दसवीं की छात्रा हूँ और आपसे प्रार्थना करना चाहती हूँ कि आप विद्यालय में अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं का आयोजन करवायें। हमारे विद्यालय के छात्र विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त योग्य व कुशल हैं। बहुत बार हमें अन्य विद्यालयों में जाकर अपनी योग्यतायें साबित करने का अवसर भी मिला है। इस बार हम छात्रों की इच्छा है कि हमारे विद्यालय में भी ऐसा आयोजन हो, ताकि प्रतियोगिता में भाग लेने के साथ-साथ हमें अन्य विद्यालय के छात्रों व अध्यापकों को जानने का, उनका सम्मान करने व कार्यक्रम को आयोजित करने का अवसर व अनुभव मिल सके।
आशा है आप हमारी प्रार्थना पर ध्यान देंगी व शीघ्र ही ऐसा आयोजन करवायेंगी।
धन्यवाद
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
क, ख, ग
दिनांक……..
प्रश्न 6.
(क) विद्यालय के हैड बॉय/गर्ल होने के नाते विद्यालय में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले की जानकारी देने हेतु सूचना लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
आपकी सोसायटी ‘गुलिस्तान’ में दीवाली मेले का आयोजन होने जा रहा है। सचिव होने के नाते सूचना 50 शब्दों में तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
रामकृष्ण विद्यालय
सूचना
दिनांक…………….
वार्षिक मेले का आयोजन भव्य स्तर पर विद्यालय के प्रांगण में वार्षिक मेले का | आयोजन होने जा रहा है। विभिन्न आकर्षक खेलों के स्टॉल के अतिरिक्त नृत्य व गायन की प्रतियोगितायें भी होंगी। अधिक-से-अधिक संख्या में भाग लें व अपने मित्रों-सम्बन्धियों को आमन्त्रित करें।
दिनांक : 24
दिसम्बर, समय : प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक
शिवानी भटनागर
हैड गर्ल
अथवा
गुलिस्तान अपार्टमेण्ट
सूचना
दिनांक…
दीवाली मेले का आयोजन
अत्यधिक हर्ष का विषय है कि सभी सदस्यों के सहयोग से इस वर्ष भी हमारी सोसायटी में दीवाली मेले का आयोजन हो रहा है। कृपया अधिक-से-अधिक संख्या में पधारें। मित्रों व परिवार सहित आप सबका हार्दिक स्वागत है।
दिनांक : 20 अक्टूबर, समय : सायं 4 बजे से 10 बजे तक।
धन्यवाद।
अनिल गुप्ता
सचिव
(ख) दिल्ली के रेलवे विभाग की ओर से लगभग 50 शब्दों में सूचना जारी करिए कि अत्यधिक कोहरे के कारण कौन-कौन सी गाड़ियों में और कितने समय का विलंब होने जा रहा है।
अथवा
प्रधानाचार्य की ओर से अध्यापक वर्ग तथा छात्र प्रतिनिधियों की बैठक हेतु लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
रेलवे विभाग, दिल्ली
सूचना
दिनांक……………
विषय : कोहरे के कारण गाड़ियों में विलंब जनसाधारण को सूचित किया जाता है कि अत्यधिक कोहरे के कारण कुछ गाड़ियाँ अपने समय से कुछ देरी से चलेंगी। गाड़ियों और उनके समय के पुनर्निर्धारण की सूची इस प्रकार हैदिल्ली से जम्मू जाने वाली जम्मू एक्सप्रेसप्रातः 8:00 बजे के स्थान पर 10:00 बजे चलेगी। दिल्ली से अमृतसर जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस-प्रातः 5:00 बजे के स्थान पर 11:00 बजे चलेगी। दिल्ली से मुंबई जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस-रात 10:00 के स्थान पर रात 12:00 बजे चलेगी। विलंब के लिए खेद है।
सभी से सहयोग अपेक्षित है।
आगे की जानकारी समय-समय पर दी जाएगी।
“दुर्घटना से देर भली”
धन्यवाद
अध्यक्ष
रेल विभाग
अथवा
क ख ग विद्यालय
सूचना
दिनांक……..
अध्यापक वर्ग तथा छात्र प्रतिनिधियों की बैठक
कोशिश महामारी के चलते विद्यालय गत दस माह | से बंद था। अब सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया है।
इस संबंध में अध्यापक वर्ग तथा छात्र प्रतिनिधियों की बैठक कर निर्धारण किया जा रहा है। समस्त अध्यापक वर्ग तथा छात्र प्रतिनिधियों की उप-स्थिति अनिवार्य है
बैठक का समय – प्रातः 10:00 बजे
दिनांक – 10 फरवरी
स्थान – बैठक कक्ष, द्वितीय तल
इस संबंध में सभी के उचित सुझावों का स्वागत किया जाएगा।
धन्यवाद
प्रधानाचार्य
प्रश्न 7.
(क) घरों के रद्दी सामानों को एकत्रित करके प्राप्त होने वाली धनराशि को दिव्यांग जनों की सेवा में लगाने वाली एक संस्था के लिए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
‘रामकृष्ण’ विद्यालय में गणित अध्यापक का पद खाली है। रिक्त पद, वेतन व विद्यालय का संक्षिप्त विवरण देते हुए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
दिव्यांग सेवा संस्थान पिछले 35 वर्षों से समाज के दिव्यांग जनों की सेवा व उत्थान में लगी इस संस्था को सहयोग दें।
जो है आपके लिए बेकार,
वह बनेगा किसी के लिए उपहार।
जी हाँ, अपने घर का ऐसा सामान जो आपके लिए किसी काम का नहीं, आप हमें दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य सेवा व दान के लिए भी सम्पर्क | करें-बी-ब्लॉक, जनकपुरी, दूरभाष-8150636964 आपके सहयोग से दिव्यांग जनों को प्रशिक्षण व विशेष उपकरण प्रदान किये जायेंगे। जल्दी करें, किसी को | आपकी जरूरत है…………..
अथवा
रामकृष्ण विद्यालय, विकासपुरी, दिल्ली
(कक्षा 8 से 12 तक के लिए) गणित अध्यापक की आवश्यकता है।
योग्य व इच्छुक उम्मीदवार सम्पर्क करें-9155294750 न्यूनतम अनिवार्य योग्यता-गणित विषय में स्नातक व परास्नातक,
लगभग तीन वर्ष का कार्य-अनुभव आवश्यक।
(ख) साहित्य कला अकादमी की ओर से संगीत समारोह के आयोजन के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
व्रत उपवास में खाए जाने वाले विशेष पौष्टिक आहार के लिए 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
साहित्य कला अकादमी भव्य संगीत समारोह का आयोजन सभी संगीत प्रेमियों के लिए खुशखबरी देश के सप्रसिद्ध संगीतकारों की उपस्थिति में भव्य संगीत समारोह का आयोजन
दिनांक 10 फरवरी
समय सायं – 4:00 से 10:00 तक
मुख्य अतिथि – संगीत सम्राट – ए. आर. रहमान
संगीत सम्राज्ञी – अलका याग्निक
इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए पंजीकरण कराएं साहित्य कला अकादमी की वेबसाइट पर या साहित्य कला अकादमी में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर भी पंजीकरण कराया जा सकता है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 4 फरवरी।
अथवा
रखना चाहते हैं उपवास
न हों उदास…
उपवास का ताजा, पौष्टिक, सात्विक भोजन हम आपके घर तक पहुंचाएंगे….
हमारे यहाँ व्रत के भोजन की सामग्री उपलब्ध है।
सामग्री के लिए किसी भी समय ऑर्डर कर सकते हैं।
यदि तैयार भोजन चाहते हैं तो
दोपहर के भोजन के लिए प्रातः 12:00 बजे से पहले रात्रि भोजन के लिए सायं 6:00 से पहले आर्डर करें।
सेवा का एक अवसर अवश्य दें।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
- जन्मदिन का उपहार
- यादगार
- सार्थक
अथवा
‘परोपकार’ शीर्षक पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए। (2½)
उत्तरः
जन्मदिन का उपहार राघव 13 वर्ष का होने वाला था। इस बार उसके माता-पिता ने सोचा था कि उसका जन्मदिन धूमधाम से मनाएंगे पर समझ नहीं पा रहे थे कि किस-किस को बुलाएं, कौन-कौन उसके दोस्त हैं। अतः उन्होंने राघव से ही पूछा कि वह अपना जन्मदिन कैसे मनाना चाहता है, किन-किन दोस्तों को बुलाना चाहता है? राघव ने जो कहा वह तो माँ ने कभी सोचा भी नहीं था। उसने बोला “माँ, हम तो हर साल अपना जन्मदिन मनाते हैं किंतु कितने सारे ऐसे बच्चे हैं जिन्हें जन्मदिन मनाना तो दूर अपने जन्म का दिन तक नहीं मालूम। यहीं पास में जो अनाथ आश्रम है वहाँ से वह जब भी गुजरता है, मासूम बच्चों को वहाँ देखकर उसका मन बहुत उदास हो जाता है। वह अपने जन्मदिन पर उनके पास जाकर उनके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहता है।
माता पिता तुरंत ही इस बात के लिए राजी हो गए। राघव का जन्मदिन आया। वे सब खूब सारी मिठाइयाँ, उपहार और जरूरत का अन्य सामान लेकर अनाथालय पहुंचे। वहाँ सब बच्चों को एकत्रित किया गया, सबके बीच राघव ने केक काटा और सबको बाँटा। साथ ही सब को उपहार भी दिए, सब ने मिलकर राघव को जन्मदिन की बधाई दी और डांस भी किया। आज का दिन राघव के लिए यादगार और सार्थक बन गया। उन बच्चों के चेहरे पर जो खुशी थी वह राघव के लिए जन्मदिन का सबसे कीमती उपहार था।
अथवा
परोपकार सुमित और रोहन स्कूल की तरफ जा रहे थे। आज उनकी विज्ञान की परीक्षा थी। दोनों उसी के विषय में बातचीत करते हुए चले जा रहे थे। अचानक सुमित की नजर सड़क के किनारे गिरे हुए एक वृद्ध व्यक्ति पर पड़ी वह वहीं रुक गया और उसने रोहन को कहा कि मुझे लगता है उन्हें मदद की जरूरत है। रोहन बोला जल्दी स्कूल चलो वरना परीक्षा के लिए देर हो जाएगी। सुमित थोड़ा आगे गया किंतु उसका मन नहीं माना। वह बोला “रोहन, तुम्हें स्कूल जाना है तो जाओ, पर मैं पहले उनकी मदद करना चाहता हूँ। सुमित ने उस व्यक्ति को पहले अपनी बोतल से पानी पिलाया और उनसे उनकी परेशानी पूछी। पता चला कि वे भूल गए हैं कि उन्हें कहाँ जाना था और चलते-चलते थक जाने के कारण गिर पड़े हैं। भूख-प्यास से उनका बुरा हाल हो रहा था। सुमित ने उन्हें अपना खाना खिलाया, उनसे थोड़ी देर बातचीत की। बातों-बातों में उनसे पता चला कि वह कहाँ रहते हैं। उनके साथ-साथ गया और उन्हें घर तक छोड़ कर आया। घरवालों से पता चला कि वह कभी-कभी अपनी याददाश्त भूल जाते हैं इसीलिए शायद रास्ता भटक गए होंगे। सभी घरवालों ने सुमित का बहुत धन्यवाद दिया और ढेर सारा आशीर्वाद दिया। अब सुमित विद्यालय गया किंतु बहुत देर से पहुंचने पर उसे अध्यापिका की डांट खानी पड़ी। जब उसने पूरी बात बताई तो सभी अध्यापकों ने उसको शाबाशी दी और एक अलग कमरे में बैठाकर पेपर करने को दिया। आज भले ही सुमित थोड़ा परेशान हुआ पर जो कुछ उसने किया था उससे उसे असीम संतोष मिल रहा था।